Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Dec 2016 · 1 min read

बदलाव प्रकृति का नियम है ।

अगर आप जीवन में लगातार
सफल बने रहना चाहते हैं,
तो समय के अनुसार,
स्थिति के अनुसार
और जनरेशन के अनुसार
अपने आपको बदलते रहिए,,
स्वयं को अपडेट करते रहिए !
क्योंकि जो समय के अनुसार
बदलता नही है
वह उससे प्रतिस्पर्धा रखने वालों
में कमजोर समझा जाता है
और वह वैल्यूएबल नही रह पाता ।
उसके प्रतिस्पर्धी उसके बराबर
खड़े होते हुए भी,
बहुत जल्द उससे
आगे निकल जाते है ।
आपका आने वाला हर लेवल
एक नये वर्जन की मांग करता हैं ।
अगर उस लेवल के लिए आप
स्वयं को अपडेट करेंगे,
तभी आप उस लेवल को
क्वालिफाई कर पायेंगे…

इसलिए जमाने के साथ
चलते रहिए….
नही तो लोग
आपका साथ छोड़ देंगे….

-पवन जयपुरी

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 1862 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रमेशराज की पेड़ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की पेड़ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
दुनिया तेज़ चली या मुझमे ही कम रफ़्तार थी,
दुनिया तेज़ चली या मुझमे ही कम रफ़्तार थी,
गुप्तरत्न
फितरत
फितरत
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
दोहा - चरित्र
दोहा - चरित्र
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हर बला से दूर रखता,
हर बला से दूर रखता,
Satish Srijan
तू  फितरत ए  शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है
तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है
Dr Tabassum Jahan
मौसम  सुंदर   पावन  है, इस सावन का अब क्या कहना।
मौसम सुंदर पावन है, इस सावन का अब क्या कहना।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
कहीं भूल मुझसे न हो जो गई है।
कहीं भूल मुझसे न हो जो गई है।
surenderpal vaidya
सावन में घिर घिर घटाएं,
सावन में घिर घिर घटाएं,
Seema gupta,Alwar
मुस्कराओ तो फूलों की तरह
मुस्कराओ तो फूलों की तरह
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
Manoj Mahato
पहाड़ चढ़ना भी उतना ही कठिन होता है जितना कि पहाड़ तोड़ना ठीक उस
पहाड़ चढ़ना भी उतना ही कठिन होता है जितना कि पहाड़ तोड़ना ठीक उस
Dr. Man Mohan Krishna
लोगों का मुहं बंद करवाने से अच्छा है
लोगों का मुहं बंद करवाने से अच्छा है
Yuvraj Singh
योग
योग
लक्ष्मी सिंह
कलियुग
कलियुग
Prakash Chandra
एक अरसा हो गया गाँव गये हुए, बचपन मे कभी कभी ही जाने का मौका
एक अरसा हो गया गाँव गये हुए, बचपन मे कभी कभी ही जाने का मौका
पूर्वार्थ
बात
बात
Ajay Mishra
ये साला टमाटर
ये साला टमाटर
*Author प्रणय प्रभात*
हास्य कथा :अहा कल्पवृक्ष
हास्य कथा :अहा कल्पवृक्ष
Ravi Prakash
ऐसे जीना जिंदगी,
ऐसे जीना जिंदगी,
sushil sarna
बनें जुगनू अँधेरों में सफ़र आसान हो जाए
बनें जुगनू अँधेरों में सफ़र आसान हो जाए
आर.एस. 'प्रीतम'
मुक्तामणि छंद [सम मात्रिक].
मुक्तामणि छंद [सम मात्रिक].
Subhash Singhai
कान खोलकर सुन लो
कान खोलकर सुन लो
Shekhar Chandra Mitra
"दीया और तूफान"
Dr. Kishan tandon kranti
चाहे अकेला हूँ , लेकिन नहीं कोई मुझको गम
चाहे अकेला हूँ , लेकिन नहीं कोई मुझको गम
gurudeenverma198
महंगाई के इस दौर में भी
महंगाई के इस दौर में भी
Kailash singh
।।  अपनी ही कीमत।।
।। अपनी ही कीमत।।
Madhu Mundhra Mull
अपने  में वो मस्त हैं ,दूसरों की परवाह नहीं ,मित्रता में रहक
अपने में वो मस्त हैं ,दूसरों की परवाह नहीं ,मित्रता में रहक
DrLakshman Jha Parimal
वो आया इस तरह से मेरे हिज़ार में।
वो आया इस तरह से मेरे हिज़ार में।
Phool gufran
Loading...