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1 May 2017 · 1 min read

बकवास कल्पना

बकवास कल्पना

दूर कहीं दूर
गर्मी की दोपहर में
किसी निर्जन जंगल में
सन्नाटे की गोद में
बैठा हुआ मेरा मन
कोरी कल्पना में डूबा।
वनचर जीवों के साथ
उनके पिछे घुमने लगा
कभी उनके कोमल
बालयुक्त बदन को
उंगलियों के पोरों से
सहलाते हुए हाथ फिराना
या फिर गर्मी से बचने हेतु
किसी पेड़ की लौरी से लटक
ठंडी-ठंडी छांव का आनन्द ले
अपने झुलसे तन को
गर्मी से कुछ राहत दें
उस पशु-पक्षी युक्त जंगल में
उन्हीं जन्तुओं सी क्रियायें करना
तन ओर आंखों की तपती
ओर सुलगती गर्मी को
पशुओं के साथ खेल कर
या समुद्र या तालाब में
खुद को उनके साथ गिराकर
मौज मस्ती उड़ाना
यही है मेरे आहत मन की
गर्मी को कुछ कम करने की
कोरी ओर निरी बकवास कल्पना।

-ः0ः-
नवल पाल प्रभाकर

Language: Hindi
290 Views
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