फूल कलियाँ ये नाजुकी तेरी
बन गयी है मेरी खुशी तेरी
हो चुकी है ये जिन्दगी तेरी
मीठी बातों से जग ये लूट लिया
कितनी अच्छी बहादुरी तेरी
आज छत पर भी मेरे आई है
शुक्रिया चाँद चाँदनी तेरी
फूल खिल जाते जब तू हँसती है
भा गयी दिल को ये हँसी तेरी
वो सलासिल से बाँधकर पूछे
कह दे ख़्वाहिश जो आख़िरी तेरी
ग़म की राहों में देती हैं रस्ता
यादें बनकर के रौशनी तेरी
भूलने वाले देख ले आकर
आज भी खल रही कमी तेरी
क्या फ़लक से तू चलके आई है
चाँद से शक्ल मिल रही तेरी
मात खा जाएँ देख कर “प्रीतम”
फूल कलियाँ ये नाजुकी तेरी
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
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