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16 Apr 2017 · 1 min read

फिर भी ये दिल रीता है

ग़ज़ल
मापनी 22-22-22-2

हर दुख हमने जीता है,
फिर भी ये दिल रीता है!

जब भी सच पर चलते हैं,
लगता तुरत पलीता है!

करते-करते जग सेवा,
सारा जीवन बीता है!

क्या-क्या अनुभव बतलायें,
मन में पूरी गीता है!

फिर भी ”मोहन” दुख का विष,
अब भी हँसकर पीता है!

– शिव मोहन यादव
कृपालपुर, गौरीकरन, कानपुर देहात.

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