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28 Aug 2016 · 1 min read

फ़क़्त मेरे घर का पता पूछती है

तू दुनिया की मान्निद बडी मतलबी है
शानासा है लेकिन बहुत अजनबी है
……….
हुदूदे तख़्ययुल से बाहर है अब तक
जो मंसूब तुझसे मेरी शायरी है
……….
बला कोई आये ज़माने में लेकिन
फ़क़्त मेरे घर का पता पूछती है
………
निज़ामे मुहब्बत बने या कि बिगड़े
वफ़ा मेरे सीने से लिपटी हुई है
………
तबाही मचेगी अभी देख लेना
हवा के लबों पर बहुत खामुशी है
………
फ़रिश्ता है लेकिन कहा किससे जाये
है मशहूर सालिब बुरा आदमी है

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