Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Aug 2016 · 1 min read

फल तो वो देगा जो सबका मीत है..

“कर्मण्यवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” ………

फल तो वो देगा जो सबका मीत है..

गर हवाएं बह रहीं प्रतिकूल हैं।
राह में कांटे बिछे या फूल हैं।
तम सघन चहुँ ओर ही अंधियार हो।
या कि चहुँदिस दूधिया उजियार हो।
तू तो बस निज कर्म पर विश्वास कर।
और बदले में ना फल की आस कर।
कर्म करने में ही तेरी जीत है।
फल तो वो देगा जो सबका मीत है॥

यह नदी जैसे निरंतर बह रही।
और हवा चलती हुई कुछ कह रही।
कर्म निज निस्वार्थ तुम करते रहो।
और सतत ही मार्ग पर बढ़ते रहो।
बीज जब बोया है फल तो आएगा।
आज ना आया तो कल आ जाएगा।
बीज बोना ही जगत की रीत है।
फल तो वो देगा जो सबका मीत है।।

मात्र तेरा कर्म बुद्धि योग है।
विमुख होना कर्म से अभियोग है।
किस लिए तू मोह में आसक्त है।
जब तू मोहन का सखा है भक्त है।
वो ही कर्त्ता है वही करतार है।
उसके हाथों में ही सब अधिकार है।
गर नहीं उसको तनिक स्वीकार है।
फिर तुम्हारी जीत में भी हार है।
“आरसी” की कर्म पहली प्रीत है।
फल तो वो देगा जो सबका मीत है॥

–आर० सी० शर्मा “आरसी”

Language: Hindi
Tag: गीत
603 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रावण का परामर्श
रावण का परामर्श
Dr. Harvinder Singh Bakshi
वतन के लिए
वतन के लिए
नूरफातिमा खातून नूरी
हों जो तुम्हे पसंद वही बात कहेंगे।
हों जो तुम्हे पसंद वही बात कहेंगे।
Rj Anand Prajapati
चलती है जिंदगी
चलती है जिंदगी
डॉ. शिव लहरी
फूल खिले हैं डाली-डाली,
फूल खिले हैं डाली-डाली,
Vedha Singh
दिन में रात
दिन में रात
MSW Sunil SainiCENA
मौहब्बत क्या है? क्या किसी को पाने की चाहत, या फिर पाकर उसे
मौहब्बत क्या है? क्या किसी को पाने की चाहत, या फिर पाकर उसे
पूर्वार्थ
मैं यूं ही नहीं इतराता हूं।
मैं यूं ही नहीं इतराता हूं।
नेताम आर सी
छाई रे घटा घनघोर,सखी री पावस में चहुंओर
छाई रे घटा घनघोर,सखी री पावस में चहुंओर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रूह की अभिलाषा🙏
रूह की अभिलाषा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
द माउंट मैन: दशरथ मांझी
द माउंट मैन: दशरथ मांझी
Jyoti Khari
"मैं नारी हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
सालगिरह
सालगिरह
अंजनीत निज्जर
तेरी मुहब्बत से, अपना अन्तर्मन रच दूं।
तेरी मुहब्बत से, अपना अन्तर्मन रच दूं।
Anand Kumar
हम नही रोते परिस्थिति का रोना
हम नही रोते परिस्थिति का रोना
Vishnu Prasad 'panchotiya'
परिणय प्रनय
परिणय प्रनय
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
हार कभी मिल जाए तो,
हार कभी मिल जाए तो,
Rashmi Sanjay
सत्य असत्य से कभी
सत्य असत्य से कभी
Dr fauzia Naseem shad
जब स्वार्थ अदब का कंबल ओढ़ कर आता है तो उसमें प्रेम की गरमाह
जब स्वार्थ अदब का कंबल ओढ़ कर आता है तो उसमें प्रेम की गरमाह
Lokesh Singh
शे’र/ MUSAFIR BAITHA
शे’र/ MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
23/39.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/39.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यादों के तराने
यादों के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
शाश्वत सत्य
शाश्वत सत्य
Dr.Pratibha Prakash
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अंधभक्ति
अंधभक्ति
मनोज कर्ण
*नेताजी के सिर्फ समय की, कीमत कुछ होती है (हास्य-व्यंग्य गीत
*नेताजी के सिर्फ समय की, कीमत कुछ होती है (हास्य-व्यंग्य गीत
Ravi Prakash
विश्वास करो
विश्वास करो
TARAN VERMA
Sukun-ye jung chal rhi hai,
Sukun-ye jung chal rhi hai,
Sakshi Tripathi
समय देकर तो देखो
समय देकर तो देखो
Shriyansh Gupta
विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।
विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
Loading...