Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2016 · 14 min read

प्रेम सेतु (कहानी ) —–मेरी पुस्तक प्रेम सेतु से

प्रेम सेतु (कहानी ) —–मेरी पुस्तक प्रेम सेतु से

जीना तो कोइ पटेल परिवार से सीखे1 जीवन रूपी पतँग को प्यार की डोर से गूँथ कर ऐसा उडाया कि आसमान छूने लगी1 ऐसी मजबूत डोर को देश धर्म जाति की पैनी छुरी भी नही काट् सकी1 वृ्न्दा अक्सर कहती है कि उसने पिछले जन्म मे जरूर कोई बडा पुण्यकर्म किया है जो भगवान ने बैठे बिठाये हेडन को उसकी झोली मे डाल दिया1 आज हेडन अपने सगे बेटे से भी बढ कर है1 अपना खून नहीं तो क्या हुआ1 कितने माँ बाप हैं जो अपने बच्चों से दुखी हैं1 अब मि- मुरगेसन को ही ले लो उनके बच्चो ने उनका जीना हराम कर रखा है1 हेडन ने खून धर्म जाति का रिश्ता ना होते हुये भी उन्हें सर आँखों पर बिठाया1

कैसा गोरा चिट्टा-धीर गम्भीर – मेहनती मेधावी और संवेदनशील लडका है1 ऐसा कौन सा गुण् है जो उसमे नहीं है! वो अकसर हेड्न से कहती —

हेडन! तुम सोलह कला सँपूर्ण हो कृ्ष्ण की तरह-

माँ आप भी तो यशोधा से कम नहीं हो- और दोनो मुस्कुरा देते 1

हेडन 7 वर्ष का था जब से वो उसे जानने लगी है1 उसके पिता टास और माँ मैसी की अपनी कोई औलाद नहीं थी उन्हों ने हेडन को एक अनाथालय से गोद लिया था1 तब वो केवल दो वर्ष का था1 वो नये घर मे आ कर बहुत खुश था1 पैसे की कोई कमी नहीं थी1 वो किसी राजकुमार की तरह ठाठ बाठ से पलने लगा1 मगर भगवान की माया कुछ और ही ताना बाना बुन रही थी1 वो अभी 6 वर्ष का ही हुया था कि उसकी माँ मैसी एक कार ऐक्सीडेण्ट मे मर गयी1 हेडन और टास पर जेसे वज्रपात हुआ था1 वो निराश हो गया उसे घर मे कुछ भी अच्छा नहीं लगता1 टास उसे बहलाने की बहुत कोशिश करता उसे बच्चों के साथ खेलने पार्क मे भेज देता पर वहाँ भी वो गुमसुम सा अकेले ही बैठा रहता1 बच्चों को अपने मा-बाप के साथ हंसते खेलते देखता तो उसे माँ की बडी याद आती1 वो उदास हो कर घर लौट आता1

टास ने चार महीने बाद दूसरी शादी कर ली उसे हेडन की भी चिन्ता थी1 मैगी उसकी नयी माँ उसे पसंद नही करती थी मगर फिर भी वक्त गुजरने लगा1 धीरे धीरे मैगी को हेडन से चिढ सी होने लगी1 क्यों की शाम को जेसे ही टास और मैगी घर आते हेड्न भी नर्सरी से आ चुका होता1 टास उसे बहुत प्यार करता था इस लिये शाम को अधिक से अधिक समय हेडन के साथ गुज़ारना पसंद करता था1 लेकिन मैगी का आम अमेरिकन की तरह एक ही फँडा था —

–ईट ड्रिन्क ऐँड बी मैरी —

वो किसी पराये बच्चे के लिये अपनी खुशियाँ क्यों बरबाद करे! वो टास के साथ अकेली घूमना फिरना पसंद करती1 ऐसे मे हेडन का साथ होना उसे एक आँख ना सुहाता1

धीरे धीर टास और मैगी मे खटपट होने लगी1 हेडन बेशक बच्चा था मगर समय के थपेडों ने उसे बहुत कुछ सिखा दिया था1 उसे धीर गम्भीर बना दिया था1 इसलिये वो शाम को कई बार खेलने का बहाना कर गार्डन मे चला जाता ताकि मैगी और टास अकेले कहीं जा सकें1

टास ग्रोव ड्राईव मेन्शन– साँटा कलारा के एक फलैट् मे रहता था1 और उसके सामने ही एक फ्लैट मे भारतीय परिवार रहता था1 उसमे मि- राजीव पटेल उनकी चार वर्ष की बेटी पत्नी और माँ रहते थे पटेल एक कम्पनी मे जाब करता था1परिवार खुश हाल था1

उनकी माँ वृ्न्दा अपनी पोती सुगम को बहुत प्यार करती थी 1 वो शाम को रोज़ उसे घुमाने गार्डन मे ले जाती1 अमेरिकन बच्चे अकसर आपस मे ही खेलते1 सुगम भारतीय बच्चो के साथ खूब शरारते करती1 वृ्न्दा सब बच्चों की प्यारी दादी बन गयी थी1 बच्चे उनसे कई कहानियाँ सुनते1 सुगम कई बार दादी की गोद मे बैठ कर गले मे बाहें डाल लेती और खूब प्यार करती1 हेडन कई बार दूर खडा हो कर उन्हें ताकता रहता उसे ये सब बहुत अच्छा1 लगता उसे अपनी मांम की याद आ जाती 1 वो हिन्दी भाषा नहीं जानता था मगर इन्सान् की संवेदनायें तो एक होती हैं1 उसे सुगम और दादी को देखना सुनना बहुत अच्छा लगता1 उस दिन टास और मैगी एक पार्टी मे जाने वाले थे1 वो मैगी के साथ कहीं जाना ही नहीं

चाहता था1 उसने खेलने का बहाना बनाया और गार्डन मे आ गया घर की एक चाबी उसके पास रहती थी1

वो गार्डन मे एक खाली बैंच पर बैठ गया1 सामने दादी और सुगम हँस रही थीं1 वो उत्सुकता से उन्हें देखने लगा1 उसे अपनी माँ याद आ गयी और आँखें भर आयी1 वो उठ कर घर की ओर बढने ही लगा था कि सामने से आते बच्चे से टकरा कर गिर गया1 दादी ने देखा तो भाग कर उसे गोदी मे उठा लिया और पुचकारने लगी1 उसे चुप करवाते हुये अपने घर ले आयी1उसका जख्म साफ कर उस पर बेडेड लगा दी1 हेड्न अभी भी दादी की गोद मे था1–

-बेटा नेम — अब दादी को इन्गलिश तो आती नहीं थी पर ये पता था कि नाम को नेम कहते हैं अब सुगम ट्रान्सलेटर का काम करने लगी

-शी इज़ आस्किन्ग युयर नेम– सुगम ने हेड्न को बताया1

हेडन — हेडन धीरे से बोला

फिर सुगम दुआरा ही दादी ने उसके घर का पता पूछा ताकि उसे घर छोड दे1

घर पर कोई नहीं था दादी ने उसे अकेले छोडने से मना कर दिया 1 मन ही मन हेडन भी खुश था उसे दादी की गोद मे अच्छा लग रहा था1 सुगम की माँ ने टास के लिये वाईस मेसेज छोड दिया कि जब भी वो घर आयें हेडन को उनके घर से ले लें एक कागज़ पर लिख कर घर के दरवाजे पर लगा दिया1

घर पहुंचते ही सुगम सुगम की मम्मी ने सब के लिये गर्म गर्म पकौडे बनाये1 हेडन ने बडे स्वाद से खाये1 फिर वो सुगम से बातें करने लगा1 उसे उस घर मे आ कर बहुत अच्छा लग रहा था1 रात का खाना भी उसने उनके साथ ही खाया1 हेदन के लिये ये सब अनोखा स था1 सुगम के पापा ने भी हेदन को प्यार किया मगर उनके यहाँ तो कोई अपने बच्चों से भी इतना प्यार नहिं करता1 वो लोग बातें कर ही रहे थे कि काल बेल बज उठी1 सामने टास खडा था1 हेडन ने उसे सब कुछ बता दिया1 टास शर्मिन्दा भी था-कि उसे बच्चे को इतनी देर अकेला छोड कर नहीं जाना चाहिये था1 उसने पटेल परिवार का धन्यवाद किया और हेडन को घर ले आया1

देर रात तक हेडन टास को पटेल परिवार के बारे मे बताता रहा1 कैसे दादी माँ ने उसे गोद ले कर चुप कराया और क्या क्या खिलाया 1 टास ने महसूस किया किहेडन आज बहुत खुश था उसे अपनी चोट भी भूल गयी थी1 अपनी माँ की मौत के बाद वो पहली बार इतना खुश दिखा था1 अब वो रोज़ शाम को गार्डन मे जाता सुगम से खेलता मगर दादी माँ से चाहते हुये भीभाषा कि वजह से बात नहीं कर सकता था1उसने सुगम से कहा कि मुझे हिन्दी सीखनी है1 दादी माँ बहुत खुश हुई1 अब वो रोज़ एक घँटा वो दोनो को हिन्दी पढाने लगी1 हेडन मेधावी था बहुत जल्दी ही वो काफी कुछ सीख गया1

अब हेडन खुश रहता था 1 मैगी की डाँट खा कर भी1 उदास नहीं होता था1 जब टास अकेला होता तो उस से दादी माँ और सुगम की बातें करता रहता1 टास हैरान था कि छ महीने मे ही हेडन हिन्दी भी काफी सीख गया था1 सुगम और हेडनीक ही स्कूल मे पढते थे1 हेडन उसके साथ ही उसके घर आ जाता दोनो वहीं पे होम वर्क करते1 अब वो भी दादी से कहानियाँ सुनने लगा था1 जब दादी श्री राम कृ्ष्ण और गणेशजी की कहानियाँ सुनाती तो वो बडी उत्सुकता से सुनता1 जो उसे समझ ना आता वो सुगम समझा देती1 इस तरह हेडन अब खुश था1 मन लगा कर पढने भी लगा था1

उधर टास और मैगी मे अक्सर झगडा रहने लगा था1मैगी आज़ाद पँछी थी1 और टास सँज़ीदा-सीधा सादा इन्सान था1 मैगी अक्सर अपने दोस्तों के साथ होटल कल्बों मे व्यस्त रहती1 एक छत के नीचे रहते हुये भी वो दोनो अलग अलग जीवन जी रहे थे1 दो साल मे ही दोनो ने जान लिया था कि वो दोनो एक दूसरे के लिये बने ही नहीं1 अब हेडन भी मैगी की परवाह नहीं करता1सुगम और हेडन ने अब तक तीसरी क्लास पास कर ली थी1

अगली क्लास मे अभी दाखिला ही लिया था किसुगम के पिता दिल का दौरा पडने से चल बसे1

कैसे टूटा दुखों का पहाड 1घर मे वो ही कमाने वले थे1 विदेश मे उनका कोई भी नहीं था1

यूँ तो भारतीय वहाँ एक दूसरे की सहायता करते हैं1 मगर ये तो सारी उम्र का रोना पड गया था 1 दादी माँ बडे जीवट से सब को सहारा देती1

सब से दुखी तो हेडन था1 सब को रोते देख वो भी रो देता1 वो भी स्कूल नहीं जा रहा था1 कभी दादी के तो क्भी सुगम की माँ के आँसू पोँछता रहता था1 उनसब की बातें सुन कर वो सम्झ रहा था कि चुँकि घर मे कोई कमाने वाला नहीं रहा तो शायद वो लोग वापिस भारत चले जायें1 ये सोचते वो और भी उदास हो जाता1 उसका पटेल परिवार के प्रति ऐसा अनुराग देख कर उसके अमेरिकन दोस्त उसका मजाक उडाते1 मगर उसे किसी की परवाह नहीं थी1 उसे पता था कि इस परिवार ने उसे वो प्यार दिया है जो उसकी माँ के बाद किसी ने नहीं दिया1मगर ये लोग कैसे समझ सकते हैं1ागर उस प्यार की फुहार का एक छीँटा भी इन पर पड जाता तो वो भी हेडन की तरह इनके रँग मे रँग जाते1ुस जेसे लावरिस के लिये जाति धर्म या देश के क्या मायने हैं 1उसे तो जो जिन्दगी दे रहा है वही उसका अपना है1

हेडन का दुख देख कर टास भी दुखी था1वो ये सोच कर भी चिन्तित हो जाता कि अगर वो लोग भारत वापिस चले गयी तो हेडन सह नहीं पायेगा1 बडी मुश्किल से वो हंसने लगा है1 उसने सोच लिया था कि चो पटेल परिवार की सहायता करेगा1 सुगम की मम्मी को कहीं नौकरी दिलवा देगा ताकी वो परिवार का पेट पाल सके और वो भारत जाने का विचार त्याग दें1

एक दिन उसने अवसर देख कर दादी माँ से बात की उसे हिन्दी नहीं आती थी मगर हेडन था उसका ट्राँसलेटर1 वैसे सुगम की मम्मी पढी लिखी थी वो इन्गलिश जानती थी1 टास ने उस से कहा कि वो मुझे अपने भाई की तरह ही समझे1 आप ये मत समझें कि यहाँ आप अकेले हैँ मै आपकी कहीँ न कहीं नौकरी भी लगवा दूँगा ये सही है कि मै मि- पटेल को तो वापिस नहीं ला सकता मगर और जिस भी सहायता की आपको जरूरत होगी वो मै जरूर करूँ

दादी भी जानती थी कि भारत जा कर भी उन्हें कौन पूछेगा रोटी कौन देग1 अगर यहाँ ही रोटी रोज़ी का प्रबन्ध हो जाये तो ठीक रहेगा1 फिर हेडन रोज़ उनको यही कहता कि मै आप लोगोँ को नहीं जाने दूँगा1

दो महीने बाद ही टास ने सुगम के मम्मी शालिनी की नौकरी एक बडे शो रूम मे लगवा दी1 पगार भी अच्छी थी घर की गाडी चल सकती थी1 अब दोनो बच्चे भी स्कूल जाने लगे थे1 टास की चिन्ता कुछ कम हो गयी थी1 वो जानता था कि हेडन उस परिवार से कितना प्यार करता हैअगर वो लोग चले जाते तो वो जी ना सकता 1इस परिवार ने उसे इतना प्यार दिया था कि हेडन एक समझदार बच्चा बन गया था अमेरिकन बच्चों की तरह लापरवाह और असभ्य नहीं था 1 शायद अपने माहौल मे वो उसे इतना अच्छा ना बना पाता1 भारतीय सँस्कृ्ति के प्रति उसके मन मे भी लगाव सा उत्पन हो गया था1

अब तो हेड्न को यही लगने लगा था कि वो इसी परिवार का अँग है1वो भारर्तिय रहन सहन ्रीति रिवाज़ सब जान गया था1 वो अक्सर सोचता कि काश! वो किसी भारतीय माँ की कोख से जन्म लेता1 पटेल परिवार भी उसे अपने बेटे की तरह चाहता था1 हेडन को तो अब अपने घर जाना भी अच्छा नहीं लगता था मगर अपने पिता की खातिर वो रात को घर जाता था1

टास मैगी के आवारा दोस्तों व उसके शराब पीने से बहुत दुखी था1उस दिन मैगी घर मे ही अपने दोस्तों को ले आयी1 सब ने जम कर शराब पी और हँगामा करने लगे1 टास ने गुस्से मे आ कर उन्हें -गेट आउट- कह दिया1 मैगी को गुस्सा आ गया और वो अपना अटैची ले कर दोस्तों के साथ ही घर से चली गयी1 टास ने भी उसे रोकने की कोशिश नहीं की1

ज़िन्दगी के भी अजीब खेल हैँ! कुछ लोग एक ज़िन्दगी भी पूरी तरह नहीं जी पाते और कुछ लोग एक ही जीवन मे कितनी ज़िन्दगियाँ जी लेते हैं1 वो पल पल मे घटित सुख दुख मे अपनी सूझबूझ और सँवेदनायों से जीवन के अर्थ खोज लेते हैं1 टास जीवन से हार गया था1 पर पटेल परिवर के प्यार और परिस्थितियों से जूझने की कला ने दोनो के जीवन को बदल दिया था दादी माँ के वात्सल्य् और हेडन के बाल सुलभ प्रेम ने दो परिवारोम के बीच देश धर्म जाति की दिवार को तोड दिया था1

उस दिन हेडन स्कूल नहीं आया था1 सुगम के घर खेलने भी नहीं आया तो दादी माँ को चिन्ता हो गयी1 वो शाम को ही सुगम के साथ हेडन के घर गयी1 हेडन ने दरवाज़ा खोला——

दादी माँ आप——कम इन—-

-हेडन क्या बात आज तुम स्कूल नहीं गये1 और घर भी नहीं आये!—–दादी ने पूछा

वो कुछ नहीं बोला उसकी आँखें भर आयी—दादी ने उसे अपनी बाहोँ मे ले कर प्यार से पूछा तो हेडन ने बताया कि पापा को रात से पेट दर्द था और वोमिट आ रही थी1 मम्मी भी के हफ्ते से घर नहीं आयी1— दादी माँ एक दम दूसरे कमरे मे गयी तो टास निश्चेष्ट सा बिस्तर पर लेटा था नीचे फर्श की मैट पर उल्टी के निशान थे1 हेडन बेचारे से जितना साफ हो सका था कर दिया था मगर पूरी तरह नहीं कर पाया था1

—बेटा भी कहते को और दुख भी नहीं बताते—–दादी ने प्यार भरी झिडकी दी1जो हेडन ने इन्गलिश मे उसे समझा दी1दादी ने जल्दी से शालिनि को गाडी लाने के लिये कहा1 टास के मना करने पर भी वो उसे डाक्टर को दिख कर लायी -उसके लिये खिचडी बनायी फिर हेडन के साथ मिल कर सारा घर साफ किया और हफ्ते भर के कपडे लाँड्री मे साफ करवाये1 और रात को वो अपने घर लौटी

टास हैरान तोथा ही कृ्तग्य भी था1 अपने भाई बहनों और रिश्तेदारों को उसकी बिल्कुल चिन्ता नहीं थी1उसने अपने भाई बहन को फोन भी किया था पर उनके पास समय ही कहाँ था 1

यूँ भी अमेरिकन लोग केवल अपने लिये ही जीते हैं जब कि भारतीय पूरा जीवन ही रिश्तेनातों के नाम कर देते हैं1लेकिन अमेरिकन रिश्तों का बोझ ढोने मे विश्वास नहीं करते1 लेकिन पटेल परिवार ने कोई रिश्ता ना होते हुये भी टास और हेडन को अपना बना लिया था1 इस लिये उसे ये सब अजीब भी लगता था 1

दादी माँ सुबह भी नाश्ता ले कर आ गयी1 और साथ हे ऐलान भी कर दिया कि अब रोज़ उनका खाना वही बनायेगी1

हेडन तो खुश था -मगर टास कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था1 असमंजस की स्थिति मे कुछ बोला नहीं1 अमेरिकन लोग दूसरों पर आश्रित होना अपना अपमान समझते हैंदादी ये जानती थीइस लिये उस ने टास को कहा कि वो ऐस कुछ भी महसूस ना करे ये गिव एन्ड टेक समझ ले1 हेडन हमरे बेटे जैसा है और विदेश मे हमारा है भी कौन्1 फिर हमारे बुरे वक्त मे तुम ने भी तो हमारी सहायता की थी1 टास ने भी साधिकार कह दिया कि ठीक है1 मै भी सुगम को अपनी बेटी जेसी मानता हूँ1 आज से इसकी पढाई लिखाई का पूरा दायित्व मेरा होगा1 आब दोनो परिवारों के प्यार और सौहार्द्रसे दोनो के बुरे दिन कट चुके थे1 ये भारतीय संस्कारों की ही सुगँध थी जो महक रही थी !

टास सुबह खुद नाश्ता बना लेता फिर शाम को सीधािआफिस से सुगम के घर आ जाता वहीं दोनो बच्चों को पढाता और फिर सब इकठे खाना खाते1 टास फिर दोनो बच्चों को पढाता और रात को हेडन के साथ अपने घर चला जाता1

अब टास को भी जीने का बहाना मिल गया था1 इस प्रेम सेतु ने दो घरों की दूरियाँ स्माप्त कर दी थी1 वो मैगी को दोबारा अपने जीवन मे लाना नहीं चाहता था1इस लिये उसने तलाक का फैसला कर लिया था1 उसने भी सुगम से हिन्दी सीख ली थी और अपने बीच भाषा की इस अडचन को भी दूर कर दिया था !

दिन पँख लगा कर उडने लगे 1हेडन और सुगम को मेडिकल मे दाखिला मिल गया ! वृ्न्दा और शालिनी टास की कृ्तग्य थीं उनमे सुगम को इस मुकाम पर पहुँचाने की सामर्थ्य नहीं थी ! पूरी काऊँटी मे दोनो परिवारों का आपसी सेहयोग और प्यार मिसाल बन गया था ! डिगरी के बाद दोनो ने मास्टर डिगरी मे दाखिला ले लिया था1 अब तक दोनो समझ गये थे कि वो दोनो एक दूसरे के लिये बने हैं और प्यार करने लगे हैं !

इधर कुछ दिनो से टास की तबियत ठीक नहीं रहती थी1 जब पेट दर्द बढ गया तो उसे अस्पताल मे भरती करवाना पडा ! वहाँ पता चला कि उसे कैंसर है1मगर अभी पहली स्टेज़ है ! ठीक हो सकता है1 सब घबरा गये थे पर हेडन और सुगम ने हिम्मत नहीं हारी थी !

टास हैरान होता कि ये लोग इतने अच्छे कैसे हैं उनके देश मे तो माँेअपने बच्चों को नहीं पूछती1 पर यहाँ तो सब उसे खुश रखने की कोशिश मे लगे रहते हैं !

टास चाहता था कि अब हेडन और सुगम की शादी हो जाये1एक दिन जब सभी बैठे थे तो उसने कह दिया कि

मै मरने से पहले दोनो को पती पत्नी के रूप मे देखना चाहता हूँ !–

डैड अगर आप ऐसी बात करेंगे तो मै आप से नहीं बोलूँगी——-सुगम नाराज़ होते हुये बोली1 आप ऐसा क्यों सोचते हैं मुझे पूरा विश्वास है कि आप जल्दी ठीक हो जायेंगे !

तो तुम मेरी इच्छा पूरी करना नहीं चाहती——

डैड आप जानते हैं न कि मै आपसे और हेडन से कितना प्यार करती हूँ अगर ना भी करती होती तो अपने प्यारे डैड के लिये फिर भी उसी से शादी करती1—

—-तो ठीक है मै तभी ठीक होऊँगा जब तुम दोनो शादी कर लोगे1—

सब झट से मान गये1 टास और हेडन चाहते थे कि शादी भारतीय रिती रिवाज़ से हो1 सब खुश थे1

शादी के मँडप पर वो बडे ध्यान से दोनो को अग्नि के चारो ओर फेरे लेते हुये देख रहा था1 टास की आँखों मे आँसू आ गये1अज उसे अपनी पहली पत्नी की याद आ रही थ मगर् इस एक पल ने उसके जीवन की सारी खुशियाँ लौटा दी थीं1

सुगम की विदाई हो गयी1 टास खुद गाडी चला रहा था1 जैसे ही गाडी एक बडे से घर के सामने जा कर रुकी सुगम और हेडन के आश्चर्य का ठिकाना ना रहा1 वो गाडी से उतरे——-

—सुगम दिस इस युअर पैराडाईज़ –अ गिफ्ट् फ्रोम युअर फादर——टास ने दुलहन की तरह सजे घर की ओर इशारा करते हुये कहा1

—ओ पापा यू आर ग्रेट—–लेकिन मेरा स्वर्ग तो आपकेचरणों मे है1

—बेटा अमेरिका मे जब बच्चे बडे हो जाते हैँ तो अपना अलग घर बसा लेते हैं1 माँ बाप के पास कहाँ रहते हैँ—

—पर पापा मै भारतीय हूँ ना इस लिये हम लोग आपके पास रहेंगे1 आपको अकेला नहीं रहने देंगे——-

—-अगर् तुम दोनो कहो तो मै एक फैसला करूँ——–हेडन जो चुप खडा था बोल उठा——-हम दोनो परिवार ही इकठे रहेंगे————-

——-मगर दादी माँ नहीं मानेंगी—–हमारे यहाँ लडकियों के ससुराल का पानी भी नहीं पीते—– सुगम ने हेडन की ओर देखते हुये कहा—

——वो सब मेरा जिम्मा——जब मैने अपने देश के रिती रिवाज़ को नहीं माना तो जो मुझे वहाँ का अच्छा नहीं लगेगा वो भी नही मानूँगा—–मै तो एक बात मानता हूँ कि जो चीज़ मानवता के मापदंम्ड पर खरी उतरती है अच्छी है वो चाहे किसी देश या धर्म की है उसे अपना लो बाकी भूल जाओ1ाउर मै कल ही जा कर उन लोगों को ले आऊँगा1——–

पाँच वर्ष हो गये हैं—-सब को एक घर मे रहते—टास की बिमारी आश्चर्यजनक रूप से ठीक हो चुकी है–हेडन के एक बेटा हो गया है 1ापने परिवार की खुशियाँ देख कर अक्सर सोचता है कि अगर ऐसा ही प्रेम सेतु हर घर मे निर्मित हो सके तो सारी दुनिया एक हो जाये—–नस्ल जाति-पाति–हर भेद भाव मित जाये उन दोनो परिवरों के प्रेम से उसे लगता कि दोनो देशों की दूरियां कितनी सिमट गयी थीं—ाब उसे दोनो की छुट्टियों का इन्तज़ार रहता भारत जाने के लिये —जेसे वो भी उसका अपना देश हो—-कितना आसान है सारी दुनिया को एक करने का ये रास्ता ——ये प्रेम सेतु—-1

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 908 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गुजर जाती है उम्र, उम्र रिश्ते बनाने में
गुजर जाती है उम्र, उम्र रिश्ते बनाने में
Ram Krishan Rastogi
इश्क की रूह
इश्क की रूह
आर एस आघात
बदलता चेहरा
बदलता चेहरा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
ज़िंदा होने का सबूत दो
ज़िंदा होने का सबूत दो
Shekhar Chandra Mitra
वसंततिलका छन्द
वसंततिलका छन्द
Neelam Sharma
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
अनजान रिश्ते...
अनजान रिश्ते...
Harminder Kaur
गिनती
गिनती
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"ऐ दिल"
Dr. Kishan tandon kranti
2603.पूर्णिका
2603.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
पसरी यों तनहाई है
पसरी यों तनहाई है
Dr. Sunita Singh
एक सलाह, नेक सलाह
एक सलाह, नेक सलाह
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
* मुस्कुराते नहीं *
* मुस्कुराते नहीं *
surenderpal vaidya
अब तो ख़िलाफ़े ज़ुल्म ज़ुबाँ खोलिये मियाँ
अब तो ख़िलाफ़े ज़ुल्म ज़ुबाँ खोलिये मियाँ
Sarfaraz Ahmed Aasee
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
मिलन फूलों का फूलों से हुआ है_
मिलन फूलों का फूलों से हुआ है_
Rajesh vyas
दिल से करो पुकार
दिल से करो पुकार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
✍️♥️✍️
✍️♥️✍️
Vandna thakur
सुपर हीरो
सुपर हीरो
Sidhartha Mishra
लड़का हो या लड़की ये दोनो एक किताब की तरह है ये अपने जीवन का
लड़का हो या लड़की ये दोनो एक किताब की तरह है ये अपने जीवन का
पूर्वार्थ
रेत और जीवन एक समान हैं
रेत और जीवन एक समान हैं
राजेंद्र तिवारी
यूनिवर्सिटी के गलियारे
यूनिवर्सिटी के गलियारे
Surinder blackpen
ज्ञान -दीपक
ज्ञान -दीपक
Pt. Brajesh Kumar Nayak
फूलों की ख़ुशबू ही,
फूलों की ख़ुशबू ही,
Vishal babu (vishu)
जिस समय से हमारा मन,
जिस समय से हमारा मन,
नेताम आर सी
दो जिस्म एक जान
दो जिस्म एक जान
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मेरी बातों का असर यार हल्का पड़ा उस पर
मेरी बातों का असर यार हल्का पड़ा उस पर
कवि दीपक बवेजा
काश
काश
Sidhant Sharma
है हमारे दिन गिने इस धरा पे
है हमारे दिन गिने इस धरा पे
DrLakshman Jha Parimal
मैं हु दीवाना तेरा
मैं हु दीवाना तेरा
Basant Bhagawan Roy
Loading...