प्रार्थना……??
प्रभु जी अलख विद्या की,जगाओ मन में।
हो जाएं जिसे पाकर,सफल जीवन में।।
अंतरा-1
सपने नए-नए बुनें,लक्ष्य बड़ा चुनें।
राग मेहनत का सजा,भाग्यवान बनें।
बहे प्रेरणा-सुगंधी,देश के जन में।
हो जाएं……………..।
अंतरा-2
नेकी के पथ पर चलें,फूलों से खिलें।
भूल भेद मनके सभी,हँसें गले मिलें।
स्नेह का नाम ज़िंदगी,रहे ये फन में।
हो जाएं……………….।
अंतरा-3
ज्ञानचक्षु खोल दो प्रभु,विनती ये करें।
डर को डराएँ हम खुद,साहस वो करें।
खुशियाँ तमाम बहें फिर,आँगन-पवन में।
हो जाएं………………..।
………राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
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