Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2017 · 1 min read

प्रारब्ध

मुद्दतों बाद कुछ कदम
खुद के लिए थे
खुरदरी सी सतह पर ।

कब से यूँ ही अनजाने
भटक रहे थे
किसी अनकही राह पर ।

नरम से कुछ अहसास
ज़रूर थे कभी हथेली की
गर्म सी सतह पर ।

असमय छलक गया
एक छुपा सा भाव
पनीली आँखों के कोरों पर ।

कह नही पाये अकसर
दायरों के अबोले शब्द
आते रहे जो लफ्जो के पोरों पर ।

ऐसे ही रहना है दसकों
इस जीवन से उस जीवन
बिना कहे इस अनवरत यात्रा पर ।

कभी कुछ पड़ाव
विश्राम के आयेगें अगर
ठहर जाना तब मन के भावो पर ।

राहे चाहे किसकी
किसको कभी मिलती है
कुछ बातें छोड़ दें गर प्रारब्ध पर ।

नीलम पांडेय “नील”
5/4/17

Language: Hindi
929 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हैरान था सारे सफ़र में मैं, देख कर एक सा ही मंज़र,
हैरान था सारे सफ़र में मैं, देख कर एक सा ही मंज़र,
पूर्वार्थ
अकेले आए हैं ,
अकेले आए हैं ,
Shutisha Rajput
रंग उकेरे तूलिका,
रंग उकेरे तूलिका,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
याद रखना
याद रखना
Dr fauzia Naseem shad
पूजा नहीं, सम्मान दें!
पूजा नहीं, सम्मान दें!
Shekhar Chandra Mitra
बीते लम़्हे
बीते लम़्हे
Shyam Sundar Subramanian
दोस्ती
दोस्ती
राजेश बन्छोर
धन्य होता हर व्यक्ति
धन्य होता हर व्यक्ति
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
सिर्फ तुम्हारे खातिर
सिर्फ तुम्हारे खातिर
gurudeenverma198
चिट्ठी   तेरे   नाम   की, पढ़ लेना सरकार।
चिट्ठी तेरे नाम की, पढ़ लेना सरकार।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
"ना अपना निर्णय कोई<
*Author प्रणय प्रभात*
श्याम अपना मान तुझे,
श्याम अपना मान तुझे,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
जीवन में शॉर्ट कट 2 मिनट मैगी के जैसे होते हैं जो सिर्फ दो म
जीवन में शॉर्ट कट 2 मिनट मैगी के जैसे होते हैं जो सिर्फ दो म
Neelam Sharma
नेता (पाँच दोहे)
नेता (पाँच दोहे)
Ravi Prakash
जी रही हूँ
जी रही हूँ
Pratibha Pandey
100 से अधिक हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं की पते:-
100 से अधिक हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं की पते:-
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कम्बखत वक्त
कम्बखत वक्त
Aman Sinha
चाँद से मुलाकात
चाँद से मुलाकात
Kanchan Khanna
जनेऊधारी,
जनेऊधारी,
Satish Srijan
"जियो जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
बेशर्मी के हौसले
बेशर्मी के हौसले
RAMESH SHARMA
मुझे भी आकाश में उड़ने को मिले पर
मुझे भी आकाश में उड़ने को मिले पर
Charu Mitra
मुझे मालूम है, मेरे मरने पे वो भी
मुझे मालूम है, मेरे मरने पे वो भी "अश्क " बहाए होगे..?
Sandeep Mishra
23/43.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/43.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कर्मफल भोग
कर्मफल भोग
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
रंग अनेक है पर गुलाबी रंग मुझे बहुत भाता
रंग अनेक है पर गुलाबी रंग मुझे बहुत भाता
Seema gupta,Alwar
नव वर्ष हमारे आए हैं
नव वर्ष हमारे आए हैं
Er.Navaneet R Shandily
युवा दिवस
युवा दिवस
Tushar Jagawat
एक ऐसे कथावाचक जिनके पास पत्नी के अस्थि विसर्जन तक के लिए पै
एक ऐसे कथावाचक जिनके पास पत्नी के अस्थि विसर्जन तक के लिए पै
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Loading...