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2 Sep 2017 · 1 min read

प्रकृति

वर्षा ऋतु सद्प्रीति का सुंदर भाव-विधान |
क्षण-क्षण मिलन समान है कर लो अनुसंधान ||

प्रकृति -प्रेम सुख- धाम है त्याग दीजिए शोक |
ज्ञान ग्रहण करके बनो आप प्रीति-आलोक ||
…………………………………………………………
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए ” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
02-09-2017
आकाशवाणी छतरपुर से काव्यसुमन कार्यक्रम में प्रसारित दोहा

Language: Hindi
607 Views
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