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6 Feb 2017 · 1 min read

**प्यार करने वाले ..खुद तलबगार हो गए हैं **

रास्ते अलग थलग से हो गए हैं
प्यार करने वाले बड़े बेबस से हो गए हैं
खुद ही पहरा लगवा लेते हैं अपने पर
इसी लिए दुनिया , के गुनहगार हो गए हैं !!

छुप छुप के प्यार करते हैं हमेशां
किस पेड़ या किस आड़ का सहारा लेते हैं हमेशा
जिस की नजर न भी जानी हो उन पर
पड़ते ही नजर , सब के तलबगार हो गए हैं !!

हाथो में लिए हाथ चले जा रहे हैं
मुस्कराहट को बेकार छुपाते जा रहे हैं
क्या कभी छुपता है यह प्यार का आलम
वो खुद अपनी निगाह , में चोर बनते जा रहे हैं !!

अजीत तलवार
मेरठ

Language: Hindi
156 Views
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