पी कर है आया
पी कर है आया…….
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जवानी का हर सुख यहीं इसने पाया,
सम्भालो इसे है ऐ पी कर के आया।
नहीं कोई चिन्ता इसे है वतन की
न परवाह कुछ भी सनम के कसम की
न घर की है चिन्ता न परवाह अपनी
बस ऐसे ही जीवन जीये जा रहा है।
ख्वाबों की दुनिया सजाये हुये है
चलता रहा और ठोकर ही खाया,
सम्भालो इसे है ऐ पीकर के आया।
न सोचे कभी ऐ किसी दिन कही पे
अंजाम क्या है इस जिन्दगी का
,कहाँ से चला था कहाँ जा रहा हूँ
किन रास्तों पे भटक सा गया हूँ,
नहीं कोई मंजिल है, इस जिन्दगी का
जल्द ही करो प्यारे इससे किनारा,
सम्भालो इसे है ऐ पीकर के आया।
सौदागर हैं सारे ऐ मौत बाटते है
बहलाकर जीवन की डोर काटते है,
सुखद जिन्दगी की जो तुमको है चाहत
कभी कोई अपना न तुमसे हो आहत,
अगर चाहते हो जो हो कुछ भी ऐसा
प्रण साधलो अब ना लेंगे दोबारा,
सम्भालो इसे है ऐ पीकर के आया।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”