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18 Jun 2017 · 1 min read

पिता

एक पिता ही है जो ख्वाहिशे अपनी बच्चो के नाम करता है…
परीवार को छाया देने के लिये धूप मे भी काम करता है…

ऊपर से सख्त अंदर से नर्म,
बच्चो के भले की दुआ सुबह शाम करता है…
मुश्किलो से लड़ने के लिये,
आगे बड़ने क लिये,
होशलो मे उड़ान भरता है….

माला की डोरी की तरह परिवार को सहेजे है, सत्य के मार्ग की राह बताता है…
मेरी ख्वाहिश कि पतंग को आसमान मे पहुचाने के लिये,
खुद की सांसे भी नीलाम करता है…

बचपन मे खेलने के लिये घोड़ा बन जाता है, नींद आने पर पेट पे सुलाता है,
उंगली पकड़ कर चलना सिखाता है…
अंधेरे मे उजाला है,
परिवार का विश्वास है आस है
पिता ही हिम्मत है मेरी और पिता ही पहचान है…

पिता के बारे मे और क्या लिखेगा “सुशील” ,
पिता तो इस धरती पर जीता जागता भगवान है…

Language: Hindi
454 Views
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