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28 Jun 2016 · 1 min read

पास जीवन के इम्तहान में क्या

पास जीवन के इम्तहान में क्या
सोचना उम्र की ढलान में क्या

पंख डर के लगा यहाँ अपने
उड़ सकेगा तू आसमान में क्या

घूरती क्यों निगाहें हैं मुझको
झूठ है कुछ मेरे बयान में क्या

जख्म दिल के कुरेदता हरदम
तीर अब भी बचे कमान में क्या

झूठ के शब्द लड़खड़ा जाते
सच कभी छिप सका जबान में क्या

जीत मिलती अगर फरेब से तो
अर्चना सर ये उठता शान में क्या

डॉ अर्चना गुप्ता

1 Like · 1 Comment · 431 Views
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