Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Feb 2017 · 1 min read

पहली बार

पहली बार
© बसंत कुमार शर्मा, जबलपुर
*
सेठ रामलाल बड़ा सा बैग लेकर तेजी से घर से निकले. एक खाली रिक्शे को अपनी ओर आते देखकर उनकी बांछें खिल गयी. रिक्शे में बैठ कर मंजिल की ओर चल दिए, रिक्शे वाले से उन्होंने नोट बंदी के असर के बारे वार्ता शुरू की और धीरे-धीरे उससे दोस्ती का प्रयास करने लगे. थोड़ी देर बाद बोले, अरे भाई हमारी कुछ मदद कर दो.

रिक्शेवाला बोला, हाँ साहब! कहिये मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?.

सेठ जी बोले, इस बैग में २ लाख रुपये के हाजर-पाँच सौ के पुराने नोट हैं. तुम इन्हें अपने जन-धन खाते में जमा कर लो. बीस हजार रुपये कमीशन काटकर मुझे चैक दे देना. मैं अपने खाते में जमा कर लूँगा.

रिक्शेवाला बोला, सेठ जी हमारा काम तो रोज कमाने-खाने से ही चल जाता है. कमीशन खाने और पचाने की आदत होती तो मैं रिक्शे की अगली सीट पर क्यों बैठा होता?

बैग में पड़े हजारों के नोट भुनभुना रहे थे और रिक्शेवाले की जेब में दस का नोट मंद-मंद मुस्कुरा रहा था, जिन्दगी में पहली बार……

Language: Hindi
572 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
राज
राज
Neeraj Agarwal
मिट्टी का बदन हो गया है
मिट्टी का बदन हो गया है
Surinder blackpen
कभी जो रास्ते तलाशते थे घर की तरफ आने को, अब वही राहें घर से
कभी जो रास्ते तलाशते थे घर की तरफ आने को, अब वही राहें घर से
Manisha Manjari
इतनी नाराज़ हूं तुमसे मैं अब
इतनी नाराज़ हूं तुमसे मैं अब
Dheerja Sharma
संगदिल
संगदिल
Aman Sinha
हिन्द की भाषा
हिन्द की भाषा
Sandeep Pande
आंखें
आंखें
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
तब मानोगे
तब मानोगे
विजय कुमार नामदेव
बेटियाँ
बेटियाँ
विजय कुमार अग्रवाल
चलो निकट से जाकर,मैया के दर्शन कर आएँ (देवी-गीत)
चलो निकट से जाकर,मैया के दर्शन कर आएँ (देवी-गीत)
Ravi Prakash
*फल*
*फल*
Dushyant Kumar
अपने को अपना बना कर रखना जितना कठिन है उतना ही सहज है दूसरों
अपने को अपना बना कर रखना जितना कठिन है उतना ही सहज है दूसरों
Paras Nath Jha
!.........!
!.........!
शेखर सिंह
सौंधी सौंधी महक मेरे मिट्टी की इस बदन में घुली है
सौंधी सौंधी महक मेरे मिट्टी की इस बदन में घुली है
'अशांत' शेखर
बड्ड यत्न सँ हम
बड्ड यत्न सँ हम
DrLakshman Jha Parimal
सत्य ही शिव
सत्य ही शिव
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
आनंद प्रवीण
मैं
मैं
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
"हैसियत"
Dr. Kishan tandon kranti
चाय ही पी लेते हैं
चाय ही पी लेते हैं
Ghanshyam Poddar
दुनिया की आख़िरी उम्मीद हैं बुद्ध
दुनिया की आख़िरी उम्मीद हैं बुद्ध
Shekhar Chandra Mitra
घनाक्षरी छंदों के नाम , विधान ,सउदाहरण
घनाक्षरी छंदों के नाम , विधान ,सउदाहरण
Subhash Singhai
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
Keshav kishor Kumar
मन से उतरे लोग दाग धब्बों की तरह होते हैं
मन से उतरे लोग दाग धब्बों की तरह होते हैं
ruby kumari
Kagaj ke chand tukado ko , maine apna alfaj bana liya .
Kagaj ke chand tukado ko , maine apna alfaj bana liya .
Sakshi Tripathi
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Fantasies are common in this mystical world,
Fantasies are common in this mystical world,
Sukoon
*जी लो ये पल*
*जी लो ये पल*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
गुरु पूर्णिमा आ वर्तमान विद्यालय निरीक्षण आदेश।
गुरु पूर्णिमा आ वर्तमान विद्यालय निरीक्षण आदेश।
Acharya Rama Nand Mandal
"कोरोना बम से ज़्यादा दोषी हैं दस्ता,
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...