Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 May 2017 · 3 min read

!!!– पहचानो–कुत्ता कौन –!!

किसी और की कविता लिखी हुई है,,मैं सब के लिए लाया हूँ..बस..
साभार–जिस ने भी लिखी है…उस को कोटी कोटी नमस्कार !!!

कोर्ट में एक अजीब सा मुकदमा आया
एक सिपाही एक कुत्ते को बांध कर लाया
सिपाही ने जब कटघरे में आकर कुत्ता खोला?
कुत्ता रहा चुपचाप, मुँह से कुछ ना बोला..!!

नुकीले दांतों में खून-सा नज़र आ रहा था
चुपचाप था कुत्ता, किसी से ना नजर मिला रहा था?
फिर हुआ खड़ा एक वकील , वो देने लगा दलील
बोला, इस जालिम के कर्मों से यहाँ मची तबाही है !!

इसके कामों को देख कर इन्सानियत घबराई है
ये क्रूर है, निर्दयी है, इसने तबाही मचाई है
दो दिन पहले जन्मी एक कन्या, अपने दाँतों से खाई है !!

अब ना देखो किसी की बाट
आदेश करके उतारो इसे मौत के घाट
जज की आँख हो गयी लाल?
तूने क्यूँ खाई कन्या, जल्दी बोल डाल !!

तुझे बोलने का मौका नहीं देना चाहता
लेकिन मजबूरी है, अब तक तो तू फांसी पर लटका पाता
जज साहब, इसे जिन्दा मत रहने दो
कुत्ते का वकील बोला, लेकिन इसे कुछ कहने तो दो ??

फिर कुत्ते ने मुंह खोला ,और धीरे से बोला
हाँ, जज साहब मैंने वो लड़की खायी है?
अपनी कुत्तानियत शायद निभाई है?
कुत्ते का धर्म है ना दया दिखाना
माँस चाहे किसी का हो, देखते ही खा जाना?!!

पर मैं दया-धर्म से दूर नही?
खाई तो है, पर मेरा कसूर नही?
मुझे याद है, जब वो लड़की कूड़े के ढेर पर पाई थी?
और कोई नही, उसकी माँ ही उसे फेंकने आई थी? !!

जब मैं उस कन्या के गया पास?
उसकी आँखों में देखा भोला विश्वास?
जब वो मेरी जीभ देख कर मुस्काई थी?
कुत्ता हूँ, पर उसने मेरे अन्दर इन्सानियत जगाई थी !!
?
मैंने सूंघ कर उसके कपड़े, वो घर खोजा था?
जहाँ माँ उसकी थी, और बापू भी सोया था?
मैंने भू-भू करके उसकी माँ थी जगाई?
पूछा तू क्यों उस कन्या को फेंक कर आई !!

चल मेरे साथ, उसे लेकर आ?
भूखी है वो, उसे अपना दूध पिला?
माँ सुनते ही रोने लगी?
अपने दुख मुझ को सुनाने लगी?!!

बोली, कैसे लाऊँ अपने कलेजे के टुकड़े को?
तू सुन, तुझे बताती हूँ अपने दिल के दुखड़े को?
मेरी सासू मारती है तानों की मार?
मुझे ही पीटता है, मेरा भतार? !!

बोलता है लङ़का पैदा कर हर बार ?
लङ़की पैदा करने की है सख्त मनाही?
कहना है उनका कि कैसे जायेंगी ये सारी ब्याही !!?

वंश की तो तूने काट दी बेल?
जा खत्म कर दे इसका खेल?
माँ हूँ, लेकिन थी मेरी लाचारी?
इसलिए फेंक आई, अपनी बिटिया प्यारी?!!

कुत्ते का गला भर गया?
लेकिन बयान वो पूरे बोल गया….!?
बोला, मैं फिर उल्टा आ गया
दिमाग पर मेरे धुआं सा छा गया?!!

वो लड़की अपना, अंगूठा चूस रही थी?
मुझे देखते ही हंसी, जैसे मेरी बाट में जाग रही थी?
कलेजे पर मैंने भी रख लिया था पत्थर?
फिर भी काँप रहा था मैं थर-थर? !!

मैं बोला, अरी बावली, जीकर क्या करेगी
यहाँ दूध नही, हर जगह तेरे लिए जहर है, पीकर क्या करेगी?!!

हम कुत्तों को तो, करते हो बदनाम?
परन्तु हमसे भी घिनौने, करते हो काम?
जिन्दी लड़की को पेट में मरवाते हो?
और खुद को इंसान कहलवाते हो?!!

मेरे मन में, डर कर गयी उसकी मुस्कान
लेकिन मैंने इतना तो लिया था जान?
जो समाज इससे नफरत करता है?
कन्याहत्या जैसा घिनौना अपराध करता है?!!

वहां से तो इसका जाना अच्छा?
इसका तो मर जाना ही अच्छा?
तुम लटकाओ मुझे फांसी, चाहे मारो जूत्ते?
लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते?
लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते ..!!

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 614 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-508💐
💐प्रेम कौतुक-508💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
# जय.….जय श्री राम.....
# जय.….जय श्री राम.....
Chinta netam " मन "
बस गया भूतों का डेरा
बस गया भूतों का डेरा
Buddha Prakash
रास्तों पर चलने वालों को ही,
रास्तों पर चलने वालों को ही,
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
रक्षाबंधन का त्योहार
रक्षाबंधन का त्योहार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
रुके ज़माना अगर यहां तो सच छुपना होगा।
रुके ज़माना अगर यहां तो सच छुपना होगा।
Phool gufran
मिलन फूलों का फूलों से हुआ है_
मिलन फूलों का फूलों से हुआ है_
Rajesh vyas
अधूरी हसरत
अधूरी हसरत
umesh mehra
चली पुजारन...
चली पुजारन...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कामयाबी का जाम।
कामयाबी का जाम।
Rj Anand Prajapati
किसी आंख से आंसू टपके दिल को ये बर्दाश्त नहीं,
किसी आंख से आंसू टपके दिल को ये बर्दाश्त नहीं,
*Author प्रणय प्रभात*
"एक सवाल"
Dr. Kishan tandon kranti
संविधान ग्रंथ नहीं मां भारती की एक आत्मा🇮🇳
संविधान ग्रंथ नहीं मां भारती की एक आत्मा🇮🇳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कोई फैसला खुद के लिए, खुद से तो करना होगा,
कोई फैसला खुद के लिए, खुद से तो करना होगा,
Anand Kumar
अन्तिम स्वीकार ....
अन्तिम स्वीकार ....
sushil sarna
भूलकर चांद को
भूलकर चांद को
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सुबह की चाय है इश्क,
सुबह की चाय है इश्क,
Aniruddh Pandey
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के 4 प्रणय गीत
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के 4 प्रणय गीत
कवि रमेशराज
* विजयदशमी मनाएं हम *
* विजयदशमी मनाएं हम *
surenderpal vaidya
महाप्रलय
महाप्रलय
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
नफरतों को भी
नफरतों को भी
Dr fauzia Naseem shad
मन से उतरे लोग दाग धब्बों की तरह होते हैं
मन से उतरे लोग दाग धब्बों की तरह होते हैं
ruby kumari
Armano me sajaya rakha jisse,
Armano me sajaya rakha jisse,
Sakshi Tripathi
बचपन की यादों को यारो मत भुलना
बचपन की यादों को यारो मत भुलना
Ram Krishan Rastogi
एक अरसा हो गया गाँव गये हुए, बचपन मे कभी कभी ही जाने का मौका
एक अरसा हो गया गाँव गये हुए, बचपन मे कभी कभी ही जाने का मौका
पूर्वार्थ
सुहागन का शव
सुहागन का शव
Anil "Aadarsh"
काली घनी अंधेरी रात में, चित्र ढूंढता हूं  मैं।
काली घनी अंधेरी रात में, चित्र ढूंढता हूं मैं।
Sanjay ' शून्य'
दो शरारती गुड़िया
दो शरारती गुड़िया
Prabhudayal Raniwal
मात-पिता केँ
मात-पिता केँ
DrLakshman Jha Parimal
Loading...