Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Aug 2017 · 1 min read

पर्व राष्ट्रीय जब भी आते, यूँ तो सभी मनाते हैं

पर्व राष्ट्रीय जब भी आते, यूँ तो सभी मनाते हैं
पर ऐसा लगता है जैसे,केवल रीत निभाते हैं

देखा जीवन मे खुद करते, अम्ल नहीं उन बातों पर
बड़ी बड़ी जो बातें अपने, भाषण में कर जाते हैं

सीमा पर तो दुश्मन की हम , ईंट से ईंट बजा देते
बेबस पर रह जाते जब ये,घर में कहर मचाते है

देश खा रहे दीमक जैसे, जाति ,धर्म ये आरक्षण
इनका तूल बनाकर नेता, अपने वोट भुनाते हैं

भ्रष्टाचार यहां फैला है, अब लोगों की रग रग में
चपरासी से अफसर तक सब, रिश्वत की ही खाते हैं

व्यापारी भी लाभ कमाने,देश को अपने भूल गये
नकली दस्तावेज़ बनाकर,अपना टैक्स बचाते हैं

आज देश की बदहाली का एक बड़ा कारण ये भी
करें नहीं खुद हम कुछ भी बस, सबके फ़र्ज़ गिनाते हैं

हिंदू मुस्लिम सिक्ख इसाई,सब हो जायें एक ‘अर्चना’
देश प्रेम की आओ सबमें ,फिर से जोत जगाते हैं

डॉ अर्चना गुप्ता
05-08-2017

492 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
भ्रूणहत्या
भ्रूणहत्या
Neeraj Agarwal
सच्ची होली
सच्ची होली
Mukesh Kumar Rishi Verma
करो खुद पर यकीं
करो खुद पर यकीं
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
Er. Sanjay Shrivastava
रिश्तों में जान बनेगी तब, निज पहचान बनेगी।
रिश्तों में जान बनेगी तब, निज पहचान बनेगी।
आर.एस. 'प्रीतम'
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
राह से भटके लोग अक्सर सही राह बता जाते हैँ
राह से भटके लोग अक्सर सही राह बता जाते हैँ
DEVESH KUMAR PANDEY
2967.*पूर्णिका*
2967.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कैसे हो हम शामिल, तुम्हारी महफ़िल में
कैसे हो हम शामिल, तुम्हारी महफ़िल में
gurudeenverma198
कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो,कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो,
कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो,कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो,
Ranjeet kumar patre
बाढ़ और इंसान।
बाढ़ और इंसान।
Buddha Prakash
अपनी सोच
अपनी सोच
Ravi Maurya
धोखे का दर्द
धोखे का दर्द
Sanjay ' शून्य'
*नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं (हिंदी गजल)*
*नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
दो नयनों की रार का,
दो नयनों की रार का,
sushil sarna
अमीर-गरीब के दरमियाॅ॑ ये खाई क्यों है
अमीर-गरीब के दरमियाॅ॑ ये खाई क्यों है
VINOD CHAUHAN
पाला जाता घरों में, वफादार है श्वान।
पाला जाता घरों में, वफादार है श्वान।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
आँख
आँख
विजय कुमार अग्रवाल
पिता पर एक गजल लिखने का प्रयास
पिता पर एक गजल लिखने का प्रयास
Ram Krishan Rastogi
*देश का दर्द (मणिपुर से आहत)*
*देश का दर्द (मणिपुर से आहत)*
Dushyant Kumar
"नया साल में"
Dr. Kishan tandon kranti
दुआ नहीं मांगता के दोस्त जिंदगी में अनेक हो
दुआ नहीं मांगता के दोस्त जिंदगी में अनेक हो
Sonu sugandh
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
***
*** " चौराहे पर...!!! "
VEDANTA PATEL
रिवायत
रिवायत
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
सूरज
सूरज
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
आप में आपका
आप में आपका
Dr fauzia Naseem shad
■ सपनों में आ कर ■
■ सपनों में आ कर ■
*Author प्रणय प्रभात*
बात तनिक ह हउवा जादा
बात तनिक ह हउवा जादा
Sarfaraz Ahmed Aasee
वो तीर ए नजर दिल को लगी
वो तीर ए नजर दिल को लगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...