पता लगाओ सुबह कहां हो रही है।
पता लगाओ सुबह कहां हो रही है
आज भी दुनिया पूरी सो रही है
घना अंधेरा ही दिख रहा है चारो तरफ
तुम कहते हो रात कट रही है
घनी सी चादर के आगोश मे है हम सब
कौन कहता है देखो पौ फट रही है
नींद के संपने ही अच्छे थे सुखद लगे
हकीकत मे देखा तो परेशानी लग रही है
भ्रम मे थे सुबह सुखद होगी
दिन भी आज अंघेरे मे रात लग रही है
मानता हू सबेरा होगा सबके जीबन मे
मेहनत के सहारे ही घनी रात कट रही है
विन्ध्यप्रकाश मिश्र