Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Feb 2017 · 2 min read

पतासी काकी

” पतासी काकी ”
(लघुकथा)
———————–
कहने को तो जमीन-जायदाद ,आलिशान घर और गाय-भैंसें सभी थी पतासी काकी के पास | लेकिन ! एक ही कमी खलती थी उसे , कि उसके कोई लड़का नहीं था ! वैसे तीन लड़कियाँ थी जो अपने-अपने घर जा चुकी थी | बेटा ही अर्थी को कंधा देता है ! वहीं मुक्ति-दाता होता है ! वही मोक्ष दिलाता है ….ऐसी धारणा के चलते पतासी काकी ने भी एक बेटा गोद ले लिया था | वह उसे अपने सगे बेटे से बढ़कर मानती थी और उसके सभी बच्चों का लालन -पालन बड़े ही लाड़-प्यार से किया ! समय के साथ बच्चे बड़े हुए तो पतासी की जमीन का नामान्तरण उन्होंने अपने नाम करवाकर उसे एक कोठरी तक सीमित कर दिया | उसके लिए रोटियों के भी लाले पड़ गये | वह जब भी कुछ खाने को माँगती तो बहू के हाथों की खुजली मिटाने का माध्यम बनकर रह जाती और फिर पानी पीकर ही अपनी किस्मत को कोसती हुई अकेलेपन के आगोश में चली जाती | इस अकेलेपन को छोड़कर उसका कोई सहारा भी नहीं बचा था, जो कि उसके दर्द को कभी समझ पाया हो ! उसका अकेलापन ही उसका हमदर्द बनकर रह गया था | वह रोज-रोज प्रताड़ना सहती और बहूरानी के ताने भी सुनती रहती | एक दिन तो हद ही हो गई ! जब बहू और पोतों ने उसे घर से निकाल दिया !!! आधी रात का समय ! अमावस्या की काली रात ! फिर भी वह हिम्मत करके चल पड़ी अपनी बेटी के पास ! ना कोई गाड़ी ना कोई राही ! बस ! अपने उसी अकेलेपन के साथ चल पड़ी थी पैदल ही | भोर हुए पहुँची तो कुछ नहीं बताया उसने ! बस ! झुर्रियों से लदे चेहरे पर मुस्कान लाते हुई बोली – मन हो रहा था….. सभी से मिलने का ! तो आ गई !!
कुछ दिन वह आराम से रही | बेटी ने अच्छी तरह सेवा-सुश्रुषा की ,कोई भी कमी नहीं रहने दी पतासी काकी को | पर ! उसका अकेलापन और विश्वासघात दोनों मिलकर उसके मानस का नित्य भक्षण करने लगे और एक दिन रात को पलंग पर सोई की सोई रह गई || उसके प्राण-पखेरू नीड़ को छोड़कर जा चुके थे ! पतासी काकी की बेटी को कुछ भी पता नहीं चल पाया कि आखिर हुआ क्या ? वह उसके पार्थिव शरीर को लेकर भाई के घर गई और भाई ने उसकी शव-यात्रा पूरे गाजे-बाजे के साथ पूरी की और अंतिम संस्कार कर दिया | वह जीते जी तो उसे नहीं खिला सका ? लेकिन ! अब आने वाले श्राद्ध पक्ष में उसके नाम का भोग कौओं को खिलाएगा ,ताकि पतासी काकी की आत्मा हलवा और खीर खाकर तृप्त हो सके !!
—————————————————–
— डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”

Language: Hindi
820 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दीपावली
दीपावली
डॉ. शिव लहरी
2769. *पूर्णिका*
2769. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पुण्यधरा का स्पर्श कर रही, स्वर्ण रश्मियां।
पुण्यधरा का स्पर्श कर रही, स्वर्ण रश्मियां।
surenderpal vaidya
कौन पंखे से बाँध देता है
कौन पंखे से बाँध देता है
Aadarsh Dubey
व्यापार नहीं निवेश करें
व्यापार नहीं निवेश करें
Sanjay ' शून्य'
😊 #आज_का_सवाल
😊 #आज_का_सवाल
*Author प्रणय प्रभात*
#सुप्रभात
#सुप्रभात
आर.एस. 'प्रीतम'
खाने को पैसे नहीं,
खाने को पैसे नहीं,
Kanchan Khanna
तुम्हारी है जुस्तजू
तुम्हारी है जुस्तजू
Surinder blackpen
समझदारी का न करे  ,
समझदारी का न करे ,
Pakhi Jain
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
प्यार नहीं दे पाऊँगा
प्यार नहीं दे पाऊँगा
Kaushal Kumar Pandey आस
"नया दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
मेला एक आस दिलों🫀का🏇👭
मेला एक आस दिलों🫀का🏇👭
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
भ्रमन टोली ।
भ्रमन टोली ।
Nishant prakhar
!! कुछ दिन और !!
!! कुछ दिन और !!
Chunnu Lal Gupta
सच तो जीवन में हमारी सोच हैं।
सच तो जीवन में हमारी सोच हैं।
Neeraj Agarwal
आटा
आटा
संजय कुमार संजू
*सावन झूला मेघ पर ,नारी का अधिकार (कुंडलिया)*
*सावन झूला मेघ पर ,नारी का अधिकार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मनोहन
मनोहन
Seema gupta,Alwar
सर्द हवाओं का मौसम
सर्द हवाओं का मौसम
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Lonely is just a word which can't make you so,
Lonely is just a word which can't make you so,
Sukoon
अगर हो दिल में प्रीत तो,
अगर हो दिल में प्रीत तो,
Priya princess panwar
धर्म की खूंटी
धर्म की खूंटी
मनोज कर्ण
सुप्रभात
सुप्रभात
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
समस्याओं के स्थान पर समाधान पर अधिक चिंतन होना चाहिए,क्योंकि
समस्याओं के स्थान पर समाधान पर अधिक चिंतन होना चाहिए,क्योंकि
Deepesh purohit
आईना प्यार का क्यों देखते हो
आईना प्यार का क्यों देखते हो
Vivek Pandey
करता नहीं यह शौक तो,बर्बाद मैं नहीं होता
करता नहीं यह शौक तो,बर्बाद मैं नहीं होता
gurudeenverma198
सहेजे रखें संकल्प का प्रकाश
सहेजे रखें संकल्प का प्रकाश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
Loading...