Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2016 · 3 min read

पगली कथा- मेरी भूमिका

यदि आप ने पूर्व में मेरे द्वारा लिखित पगली की कहानी पढ़ी है तो आप बात पूरी तरह समझ जाएंगे,अन्यथा निवेदन करूँगा की उसे पढ़े फिर मेरी उस पर दी इस सफाई पर गौर करें l

#पगली

एक मित्र में बिल्कुल उचित संकेत दिए है , हार्दिक अभिवादन करना चाहूंगा आप का जहां तक मेंरी समझ पहुच रही कि प्रश्न का मूल कारण ये है कि जब ये सभी बातें घटती हैं तो आप क्या दर्शक दीर्घा से बैठ इसकी रचना के सन्दर्भ में योजना तैयार कर रहे होते हैं ? आप क्यों विरोध नहीं करते क्यों सहयोग नहीं करते,समाज को सुधारने के लिए पहले स्वयं पर नीतियों को लागू करने का प्रयोग हो , सफल हुआ तो लोग स्वयं उसका अनुशरण करेंगे !!! बिलकुल सत्य बात l
राजेंद्र प्रसाद अथवा यशपाल में से ही किसी की रचना है जिसकी कुछ पंक्तिया भाव लिखूंगा यहाँ…
गाव की एक कुजड़न जो नित्य सब्जी और फल बेचने का कार्य करती थी,उसका जवान बेटा जो टीवी का मरीज था बिस्तर से उठने में भी असमर्थ था,उसकी नव व्याहता पत्नी दिन रात उसकी सेवा में ही लगी रहती एक दिन कुजड़न के बेटे को नाग ने डस लिया जिससे उसकी मृत्यु हो गई इस शोक में उसकी पत्नी ने भी आत्महत्या कर ली l
बचे वो कुजड़न और इन दोनों की 6 वर्ष की एक बेटी जिसे माँ बाप ने अपने दुखों का अंत कर इसे और भी दुःख में झोंक दिया था l
कुजड़न कुछ देर दोनों मृतक पति पत्नी को सामने रख रोती रही मदत के ढेरों आश्वासन और ढाढस बधा कर समाज ने भी अपना आदर्श प्रस्तुत किया और धीरे धीरे सब अपने अपने घर चले गए कुजड़न ने उस बच्ची के सिर को गोद में रख रात काटी और सुबह होते है फलो और सब्जियों का टोकरा सर पर उठाया और उस मासूम बच्ची के साथ एक पेड़ के नीचे उसे सजा कर बैठ गई,खामोश धीर गंभीर …
समाज पूण : सक्रीय हुआ क्योंकि उससे ये सब देखा न जा सका ,भला मृतक व्यक्ति के घर का पानी भी कोई पिता है क्या ? ये कुजडन पागल हो गई है जो बाजार में इसके विषय में न जानता हो वो तो हुआ न धर्मभ्रष्ट घोर कलयुग है भाई सचेत रहे सभी लोग,
साम तक कुजड़न का एक भी फल अथवा सब्जी नहीं बिकी समाज ऐसा सजग रहा कि उस कुजडन को खाली हाथ लौटना पड़ा और उसने भी वही किया स्वयं और स्वयं की नातिन के साथ भी , समस्या खत्म l
समाज पूण: सक्रीय हुआ और राजा को जम कर कोसा गया गालिया दी गई जाने क्या क्या ? पूण सब यथावत होने में 12 घंटे से भी अधिक समय लगा अब वो गाव दुःख और गरीबी से जीत चुका है l
…………… ……………….
अब प्रश्न ये है कि पगली कथा की तरह यहाँ भी लेखक मूक दर्शक बन क्या कर रहा था ? उसने दो लाशें और कुजड़न को सब्जी/फल बेचते देखा तो सहयोग क्यों नहीं किया ?? तो मान्यवर वो इस लिए की लेखक ने अपनी संवेदना का गला पहले ही घोट दिया है और जड़ शून्य हो चुका है l
मृदुल चंद्रा

Language: Hindi
Tag: लेख
810 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*ऐलान – ए – इश्क *
*ऐलान – ए – इश्क *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
*फितरत*
*फितरत*
Dushyant Kumar
एक ही बात याद रखो अपने जीवन में कि ...
एक ही बात याद रखो अपने जीवन में कि ...
Vinod Patel
मेरी अंतरात्मा..
मेरी अंतरात्मा..
Ms.Ankit Halke jha
राही
राही
RAKESH RAKESH
बेरोज़गारी का प्रच्छन्न दैत्य
बेरोज़गारी का प्रच्छन्न दैत्य
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मां बेटी
मां बेटी
Neeraj Agarwal
धुएं से धुआं हुई हैं अब जिंदगी
धुएं से धुआं हुई हैं अब जिंदगी
Ram Krishan Rastogi
"मेरी नज्मों में"
Dr. Kishan tandon kranti
💐अज्ञात के प्रति-133💐
💐अज्ञात के प्रति-133💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
इकिगाई प्रेम है ।❤️
इकिगाई प्रेम है ।❤️
Rohit yadav
कोरोना तेरा शुक्रिया
कोरोना तेरा शुक्रिया
Sandeep Pande
फितरत
फितरत
लक्ष्मी सिंह
नयन
नयन
डॉक्टर रागिनी
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
सब सूना सा हो जाता है
सब सूना सा हो जाता है
Satish Srijan
सब गुण संपन्य छी मुदा बहिर बनि अपने तालें नचैत छी  !
सब गुण संपन्य छी मुदा बहिर बनि अपने तालें नचैत छी !
DrLakshman Jha Parimal
With Grit in your mind
With Grit in your mind
Dhriti Mishra
सड़क
सड़क
SHAMA PARVEEN
।। श्री सत्यनारायण कथा द्वितीय अध्याय।।
।। श्री सत्यनारायण कथा द्वितीय अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मार्शल आर्ट
मार्शल आर्ट
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
🙅दद्दू कहिन🙅
🙅दद्दू कहिन🙅
*Author प्रणय प्रभात*
शक्कर की माटी
शक्कर की माटी
विजय कुमार नामदेव
कोशिश कर रहा हूँ मैं,
कोशिश कर रहा हूँ मैं,
Dr. Man Mohan Krishna
मासूमियत की हत्या से आहत
मासूमियत की हत्या से आहत
Sanjay ' शून्य'
सफर की महोब्बत
सफर की महोब्बत
Anil chobisa
आज के लिए जिऊँ लक्ष्य ये नहीं मेरा।
आज के लिए जिऊँ लक्ष्य ये नहीं मेरा।
Santosh Barmaiya #jay
"चाहत " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*
*"हिंदी"*
Shashi kala vyas
Loading...