खन खनाने की बात आए गी
ग़ज़ल
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जब भी शीशे की बात आएगी
टूट जाने की बात आएगी
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टूट जायेगा दिल तेरा फिर भी
मुस्कुराने की बात आएगी
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वो न आएगा अपने वादे पर
गर निभाने की बात आएगी
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याद आएगा वो सनम मेरा
जब सताने की बात आएगी
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डर रहा हूँ मैं हक़ बयानी से
रूठ जाने की बात आएगी
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इसलिए मैं ग़ज़ल नही पढ़ता
गुनगुनाने की बात आएगी
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पास आऊँ न सोच कर मैं ये
दूर जाने की बात आएगी
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याद आएँगी कनखियाँ उनकी
जब इशारे की बात आएगी
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जिक्रे दिल रहने दो मियाँ मुझसे
जख़्म छाले की बात आएगी
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लाठियाँ लेके दौडे़ंगे बेटे
जब गुजारे की बात आएगी
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खोटे सिक्कों के सामने “प्रीतम”
खन खनाने की बात आएगी
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प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती(उ०प्र०)
18/09/2017