” नज़रों को मेरी तूने , बाँध लिया है ” !!
टकटकी लगाए यों मैं ,
देखती रही !
लज़्ज़ा के आवरण ,
समेटती रही !
भीतर की हलचल को –
जान लिया है !!
हसरत भरी निगाहों ने ,
गज़ब ढा दिया !
डूब गई रंग केसरिया ,
ऐसा रंगा जिया !
फाग ने भी अलबेला –
स्वांग लिया है !!
बेध दिया यौवन ने ,
बैरागी मन !
सादगी में बसता है ,
सहज आकर्षण !
अधरों ने तेरे मेरा –
नाम लिया है !!