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21 Aug 2017 · 2 min read

नेता जी को आम जन की गुहार

भई हर साल चुनाव में मैं मतदान तो कर आती हूं क्योंकि यह मेरा कर्तव्य है किंतु हर बार नई उम्मीदें तो होती हैं पर बहुत निराशा होती है—–

नेता जी को आम जन की गुहार

सुनो नेता न्यारे तुम, बात हमारी तुम
तुम तो हरदम ईद का चांद बन जाते हो
चुनावों की बेला में तुम, घूमो हमारे आगे-पीछे
जीता दिया जो तुमको हमने, तो तुम दुर्लभ प्राणि बन जाते हो——

कहां से सीखा तुमने, यु मुस्काते हंसते
मीठी-मीठी बातों से, भोली भाली जनता को उल्लू बना देना
पहन कर सफेद कुरता, जोड़े दोनों हाथों को
मन ही मन में कुर्सी का, ताना बाना बुनते रहना
इतने झूठों और फरेबों से भी, चमके तुम्हारा चेहरा
ये तो बता दो हमें कौन चक्की का आटा तुम खाते हो——

रोटी को तरसे जन-जन, पानी भी आए कण-कण
उपर से गरीब तो मंहगाई की मार से परेशान हैं
टैक्स भरना तो जिम्मेदारी है हमारी यारों
पर तुम्हारी चंचलता पर, तो भगवान भी हैरान है
त्राहि-त्राहि कर रही है जनता, तुम पर कोई जोर न चलता
कौन सा मुंह लेकर तुम अपनी सफलता के गीत गाते हो———

करते रहते हो तुम नित नए वादे, जरा रखो भी नेक इरादे
भोली भाली जनता के सब्र का इम्तिहान मत लो
धीरज का जो बांध टूटा, सोचो फिर तुमसे सब कुछ छूटा
कुर्सी जो दी है हमने, इसे अपनी तुम मान न लो
उम्मीदों के सपनों से ही चले न गाड़ी जीवन की
तुम तो रौधे हमको अपने महल भरते जाते हो——

मीनाक्षी भसीन 19-08-17© सर्वाधिकार सुरक्षित

Language: Hindi
557 Views
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