Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jul 2017 · 1 min read

नींव का पत्थर

एक छंदमुक्त रचना

नींव का पत्थर
==========

क्यों कुरेदते हो मुझे,
ये दर्द मुझे सहने दो
मैं नींव का पत्थर हूँ,
मुझे यूँ ही दबा रहने दो

तुम्हारी ऊँचाइयाँ,
ये ठाट बाट,
तुमको मुबारक
मेरी हसरतों,
मेरे दर्द से
तुमको क्या मतलब
मत दिखलाओ घड़ियाली दृग,
ये टीस मुझे सहने दो
मैं नींव का पत्थर हूँ,
मुझे यूँ ही दबा रहने दो

ये बुलंदियाँ,
जिनपे तुम नाज करते हो
धरी ही रह जाएंगी
जरा सा मैं हिला तो,
भरभरा के गिर जाएंगी
छेड़ो मत तनिक भी,
मुझे यूँ ही पड़ा रहने दो
मैं नींव का पत्थर हूँ,
मुझे यूँ ही दबा रहने दो

नहीं हूँ संवेदनशील,
माता पिता सा,
जो मिटाते हैं खुद को,
तुम्हैं कुछ बनाने को
जो सहते ही जाते हैं
और अब बुढ़ापे में,
बेबस से रहते हैं
तुम जानते हो
वे सहते आए हैं,
अब भी सह लेंगे,
उन्हें सहने दो
मैं तो संवेदन शून्य हूँ
मुझे जड़वत ही रहने दो
मैं नींव का पत्थर हूँ,
मुझे यूँ ही दबा रहने दो

श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद
9456641400

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 5199 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
🙏आप सभी को सपरिवार
🙏आप सभी को सपरिवार
Neelam Sharma
"खाली हाथ"
Er. Sanjay Shrivastava
हृदय मे भरा अंधेरा घनघोर है,
हृदय मे भरा अंधेरा घनघोर है,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
पापा आपकी बहुत याद आती है
पापा आपकी बहुत याद आती है
Kuldeep mishra (KD)
मैं पढ़ने कैसे जाऊं
मैं पढ़ने कैसे जाऊं
Anjana banda
बिल्ले राम
बिल्ले राम
Kanchan Khanna
निर्जन पथ का राही
निर्जन पथ का राही
नवीन जोशी 'नवल'
बिल्ली
बिल्ली
SHAMA PARVEEN
चमकना है सितारों सा
चमकना है सितारों सा
कवि दीपक बवेजा
तांका
तांका
Ajay Chakwate *अजेय*
आदमी से आदमी..
आदमी से आदमी..
Vijay kumar Pandey
अधि वर्ष
अधि वर्ष
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
दोहा - शीत
दोहा - शीत
sushil sarna
हे राम हृदय में आ जाओ
हे राम हृदय में आ जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*इस बरस*
*इस बरस*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
भूखे भेड़िये हैं वो,
भूखे भेड़िये हैं वो,
Maroof aalam
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
काश असल पहचान सबको अपनी मालूम होती,
काश असल पहचान सबको अपनी मालूम होती,
manjula chauhan
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
बिन बोले सुन पाता कौन?
बिन बोले सुन पाता कौन?
AJAY AMITABH SUMAN
नैह
नैह
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जय श्रीकृष्ण । ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ।
जय श्रीकृष्ण । ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ।
Raju Gajbhiye
You do NOT need to take big risks to be successful.
You do NOT need to take big risks to be successful.
पूर्वार्थ
धूप सुहानी
धूप सुहानी
Arvina
*किसे पता क्या आयु लिखी है, दिवस तीन या चार (गीत)*
*किसे पता क्या आयु लिखी है, दिवस तीन या चार (गीत)*
Ravi Prakash
उलझनें
उलझनें
Shashi kala vyas
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
World tobacco prohibition day
World tobacco prohibition day
Tushar Jagawat
Loading...