Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Sep 2016 · 2 min read

निर्भया

सुबह निकली घर से,
बहुत खुश थी मैं ,
कहाँ खबर थी मुझे,
जमी थी किसी की गिद्ध दृष्टि,
भेद रही थी निगाहें शरीर,
मन में वासना लिए,
लपलपा रहा था जिह्वा कोई,
अनजान नहीं था वो,
रोज मिलते थे वो ‘अंकल’,
बेटी उनकी मेरी सहेली थे,
बल्कि मैं ही अनजान थी,
इरादों से उनके,
उस रोज स्कूल आये वो,
मुझे घर ले जाने को,
बताया कुछ हुआ था घर पर,
मैं भी चल दी साथ में,
बिना कुछ सोचे समझे,
ले चले एक अनजान राह पर,
बोले छोटा रास्ता है,
मेरा गला सूख रहा था,
पानी दिया उन्होंने मुझे,
फिर मुझे पता नहीं क्या हुआ,
बेहोश थी मैं शायद,
जब होश आया,
कुछ पीड़ा हो रही थी मुझे,
पड़ी थी निर्जन जंगल में,
थकी सी, निढाल सी,
लड़खड़ाते हुए उठी,
किसी तरह पहुँची घर,
माँ को बताया था सब,
वो भी रोयी थी,
समझाया था मुझे,
बेटा किसी को बोलना मत,
वरना बदनामी होगी,
शादी भी नहीं होगी,
मुँह बन्द कर दिया था मेरा,
उस इज्ज़त की दुहाई देकर,
जो शायद अब रही ही नहीं थी,
आखिर मैं ही क्यों चुप रहूँ,
किसी वहशी की गलती की सजा,
आखिर मैं ही क्यों भोगूँ,
सजा के हकदार तो वो अंकल हैं,
मेरे पिता समान थे वो,
कितना सम्मान करती थी मैं,
फिर भी मैं ही चुप रहूँ।,
आखिर कब तक चुप रहना होगा मुझे,
कितना जुल्म और सहना पड़ेगा मुझे,
आखिर कब तक घुट घुट के जीना होगा मुझे??
आपने ऐसा क्यों किया अंकल,
एक बार भी दया नहीं आयी आपको,
एक बार भी अपनी बेटी नहीं दिखी आपको,
मैं भी तो आपकी बेटी जैसी ही थी।

“सन्दीप कुमार”

Language: Hindi
4 Comments · 632 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रखे हों पास में लड्डू, न ललचाए मगर रसना।
रखे हों पास में लड्डू, न ललचाए मगर रसना।
डॉ.सीमा अग्रवाल
तू बस झूम…
तू बस झूम…
Rekha Drolia
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
कवि रमेशराज
जय माँ दुर्गा देवी,मैया जय अंबे देवी...
जय माँ दुर्गा देवी,मैया जय अंबे देवी...
Harminder Kaur
कितना भी दे  ज़िन्दगी, मन से रहें फ़कीर
कितना भी दे ज़िन्दगी, मन से रहें फ़कीर
Dr Archana Gupta
जिस तरह मनुष्य केवल आम के फल से संतुष्ट नहीं होता, टहनियां भ
जिस तरह मनुष्य केवल आम के फल से संतुष्ट नहीं होता, टहनियां भ
Sanjay ' शून्य'
मुक्तक
मुक्तक
कृष्णकांत गुर्जर
प्रेम भरी नफरत
प्रेम भरी नफरत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
सुख - एक अहसास ....
सुख - एक अहसास ....
sushil sarna
कोई किसी से सुंदरता में नहीं कभी कम होता है
कोई किसी से सुंदरता में नहीं कभी कम होता है
Shweta Soni
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Neelam Sharma
मेरा प्रेम के प्रति सम्मान
मेरा प्रेम के प्रति सम्मान
Ms.Ankit Halke jha
क्या वायदे क्या इरादे ,
क्या वायदे क्या इरादे ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
यूँ ही क्यूँ - बस तुम याद आ गयी
यूँ ही क्यूँ - बस तुम याद आ गयी
Atul "Krishn"
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
Bhupendra Rawat
कोशिश करने वाले की हार नहीं होती। आज मैं CA बन गया। CA Amit
कोशिश करने वाले की हार नहीं होती। आज मैं CA बन गया। CA Amit
CA Amit Kumar
💐प्रेम कौतुक-561💐
💐प्रेम कौतुक-561💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बन गए हम तुम्हारी याद में, कबीर सिंह
बन गए हम तुम्हारी याद में, कबीर सिंह
The_dk_poetry
मेरी तो गलतियां मशहूर है इस जमाने में
मेरी तो गलतियां मशहूर है इस जमाने में
Ranjeet kumar patre
बदी करने वाले भी
बदी करने वाले भी
Satish Srijan
अपनी समस्या का समाधान_
अपनी समस्या का समाधान_
Rajesh vyas
तुम हमेशा से  मेरा आईना हो॥
तुम हमेशा से मेरा आईना हो॥
कुमार
* पानी केरा बुदबुदा *
* पानी केरा बुदबुदा *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
गीता में लिखा है...
गीता में लिखा है...
Omparkash Choudhary
प्राप्ति
प्राप्ति
Dr.Pratibha Prakash
आपकी तस्वीर ( 7 of 25 )
आपकी तस्वीर ( 7 of 25 )
Kshma Urmila
मां शारदे वंदना
मां शारदे वंदना
Neeraj Agarwal
पता ना चला
पता ना चला
Dr. Kishan tandon kranti
"झूठे लोग "
Yogendra Chaturwedi
3046.*पूर्णिका*
3046.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...