“निर्भया” – तुम हमे माफ़ कर देना
निर्भया” – तुम हमे माफ़ कर देना..!!
“निर्भया”
तुम हमे माफ़ कर देना,
कि हम बहुत शर्मिन्दा है…!!!
हम भूल गयें तुम्हारी उन चीखों को,
जो वेवश कंठो से निकले थे…!!!
हम भूल गयें तुम्हारी उन आंशुओं को,
जो बहते बहते सूख चलें थे.!!
निर्भया हाँ हम बहुत शर्मिन्दा है…!!!
हम भूल गयें तुम्हारे उन जख्मों को,
जब उन दरिन्दों ने तुम्हे नोचा था….!!
ऐसी वेवश मौत मिलेगी एक बेटी को,
कहां किसी मां बाप ने सोचा था..!!
कितनी तड़पी होगी तुम,कितनी चिल्लायी होगी”
कितनी सहमी होगी तुम,और कितनी घबराई होगी..।
छिना होगा खुद को ही कई बार तुमने उन वहसी दरींदों से,
अपने काँपते हाथों से अपनी ही अस्मत्
जाने कितनी बार छिपायी होगी.।
तुम एक लड़की थी वेवश सही पर तुम थी कोई हवस नही..!!
पर ना जाने उन जालिमों को तुम पर आया क्यों तरस नही…!!
“निर्भया” तुम हमे माफ कर देना,कि हम बहुत शर्मिन्दा है…!!!
हम भुल गयें की..उन जालिम दरिन्दों ने तुम्हारे,
कोमल सपनो, और कई अरमानो को था बुझा डाला..!!
तुम्हारी चीखों और तड़प में भी अपना दिल बहला डाला… ।
अब तो सहमी सी हैं तितलियां सभी और खौफ में हर परिन्दा है..!!
नकाब ओढ रखा हर इन्शान अपने चेहरे पे हर शख्स यहां दरिन्दा है..!!
निर्भया तुम हमे माफ कर देना,कि हम बहुत शर्मिन्दा है…!!!
देश की एक बेटी पर जुल्म करने वाला वो दरिन्दा आज भी देश मे जिन्दा है…!!!
गुंज रही होगी तुम्हारी चीखें आज भी उन सहमी वेवश राहों पर..
किसे फर्क पड़ता है यहां और क्यों रोये कोई तुम्हारी सिसक्ती आहों पर..!!!
सत्ता के गलियारे मे तेरी मौत की चर्चा देर तलक गुंजेगी…!!!
पर इस देश की वेवश और भ्रमित व्यवस्था हर दम तेरे मौत पे रोटी सकेगी…!!!
अब तो इस लाचार और वेवश समाज मे ,
हम आम को ही खुद को जगाना होगा…!!
घर घर जाकर हर बेटी को शक्ति का रूप बतलाना होगा..!!
बेटी तुम बनना लक्ष्मी बाई,कोई बन जाओ दूर्गा,किसी को काली बनाना होगा..!!
तभी तो दहन होगा कलयुग के दानवों का..।
नही तो बेटी “हम बहुत शर्मिंदा है.” कहते कहते हम खुद ही शर्मिंदा हो जायेंगे,
और ईश्वर भी बेटीयों को दूनीया मे भेजने से पहले….।
कई बार सकुचायेंगे..।
कई बार सकुचायेंगे..।
विनोद सिन्हा “सुदामा”