Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Aug 2017 · 3 min read

नाम में कुछ है

विद्यालय का यह रिवाज़ था कि जो भी कर्मचारी सेवा निवृत होता था, उसे पूरा विद्यालय मिलकर विदाई देता था | उस दिन एक चतुर्थ वर्ग कर्मचारी “वुद्धिमान” का विदाई समारोह आयोजन किया गया था | उस आयोजन में प्रत्येक कक्षा के कक्षा नायक, दुसरे सभी वर्ग के कर्मचारी, शिक्षक एवं प्राचार्य उपस्थित थे | सभी के भाषण के बाद “वुद्धिमान” को कुछ कहने के लिए कहा गया तो वह धीरे से उठकर मंच पर खड़ा हो गया | उसने बोलना शुरू किया, “ परम श्रद्धेय प्राचार्य महोदय, आदरणीय शिक्षकगण एवं प्रिय छात्रगण | मैं आपाद मस्तक इस विद्यालय का ऋणी हूँ और खास कर पिता तुल्य श्रद्धेय घई साहब, जो अभी हमारे बीच में नहीं है, उनका ऋणी हूँ | उनके कारण एक वुद्धू, आज वुद्धिमान के रूप में सेवा निवृत हो रहा है | आपको पता नहीं, मेरा नाम वुद्धू था |बचपन में मुझे सब वुद्धू कह कर पुकारते थे | मैं इसी स्कुल में पढ़ा पर यहाँ भी नाम वुद्धू था | मेरे साथी मेरा मज़ाक उड़ाते थे | ९ वीं के बाद गरीबी के कारण आगे पढ़ नहीं पाया | विद्यालय में कमरे की सफाई का काम में लग गया | मेरा काम देख कर प्राचार्य जी ने मुझे काम में स्थायी कर्मचारी बना दिया |लम्बी अवधि तक काम करने के बाद मुझे केमेस्ट्री लैब में अटेंडेंट के पोस्ट पर बहाल कर दिया गया परन्तु लड़के और साथी कर्मचारी मुझे हमेशा चिढाते रहते थे | मेरा आत्मविश्वास निम्नतम धरातल पर पहुँच गया था |उसी समय श्री घई साहब यहाँ केमेस्ट्री के व्याख्याता के रूप में आये |प्राचार्य से मुलाक़ात करने के बाद भौतिक शास्त्र के व्याख्याता श्री शर्मा जी के साथ लैब में आये | शर्मा जी ने मुझे आवाज़ लगाई, “ ए वुद्धू ,कहाँ हो तुम ?इधर आओ |” आवाज़ सुनकर मैं स्टोर रूम से जब बाहर आया तो शर्मा जी ने पूछा,”वुद्धू ,तुम कहाँ थे ?”
“मैं स्टोर रूम में था” मैंने कहा
“देखो आप हैं घई साहब, केमेस्ट्री के व्याख्याता हैं | अब से तुम इनके नीचे काम करोगे |” शर्मा जी ने कहा |
“जी प्रणाम सर “ मैंने घई साहब को प्रणाम किया | वे दोनों चेयर पर बैठ गए तो मैं स्टोर में उनके लिए चाय बनाने लगा | वहां से उनकी बातचीत मुझे स्पष्ट सुनाई दे रही थी |
घई साहब बोल रहे थे, “ लड़का तो समझदार लगता है पर आप उसे बार बार वुद्धू क्यों बोल रहे थे ? पद में वह हम से छोटा है पर उसका भी तो आत्मसम्मान है |
शर्मा जी हा हा हा … कर हँस कर बोले, “सच जान कर आप भी उसे वुद्धू कहेंगे |”
“मैं तो उसे कभी वुद्धू नहीं कहूँगा” घई साहब ने कहा |
“घई साहब इसका नाम ही वुद्धू है | आप क्या कहकर बुलायेंगे ?
“नाम वुद्धू है? घई साहब को आश्चर्य हुआ
“हाँ वुद्धू है” शर्मा जी ने कहा |
तबतक मैं चाय ले कर आ गया था | घई साहब ने पूछा , “तुम्हार नाम क्या है ?”
शर्माते हुए मैं बोला “वुद्धू”
“ नहीं तुम वुद्धू नहीं, आज से तुम वुद्धिमान हो | मैं तुम्हे वुद्धिमान कहकर बुलाउंगा |
“लेकिन बांकी सब तो वुद्धू ही बुलाएँगे |” मैंने कहा
“ नहीं सब लोग तुम्हे वुद्धिमान बुलायेंगे | छुट्टी के बाद तुम मेरे साथ प्राचार्य के कमरे में आना |”
प्राचार्या जी से बात करके उन्होंने नाम परिवर्तन के सभी औप्चारिक्ताएं पूरा कर विद्यालय रजिस्टर में मेरा नाम “वुद्धिमान’ दर्ज करा दिया |प्रात: कालीन प्रार्थना सभा में घोषणा की कि मेरा नाम वुद्धू नहीं वुद्धिमान है | गलती से वुद्धू लिखा गया था | तब से लोग मुझे वुद्धिमान बुलाने लगे | वुद्धू के रूप में इस विद्यालय में आया था, विद्ध्यालय मुझे वुद्धिमान के रूप में विदा कर रहा है | इससे बड़ा उपहार किसको मिला है ? अब मुझे समझ में आया “नाम में कुछ है “| शत शत प्रणाम विद्यालय को ,और आप सबको |” धन्यवाद |

कालीपद ‘प्रसाद’

Language: Hindi
1 Like · 616 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दे दो, दे दो,हमको पुरानी पेंशन
दे दो, दे दो,हमको पुरानी पेंशन
gurudeenverma198
हिंदी
हिंदी
नन्दलाल सुथार "राही"
जननी
जननी
Mamta Rani
आदिपुरुष आ बिरोध
आदिपुरुष आ बिरोध
Acharya Rama Nand Mandal
भोजपुरीया Rap (2)
भोजपुरीया Rap (2)
Nishant prakhar
महफ़िल में गीत नहीं गाता
महफ़िल में गीत नहीं गाता
Satish Srijan
वो बातें
वो बातें
Shyam Sundar Subramanian
प्रदर्शन
प्रदर्शन
Sanjay ' शून्य'
मेरे जैसे तमाम
मेरे जैसे तमाम "fools" को "अप्रैल फूल" मुबारक।
*Author प्रणय प्रभात*
देकर घाव मरहम लगाना जरूरी है क्या
देकर घाव मरहम लगाना जरूरी है क्या
Gouri tiwari
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
मैदान-ए-जंग में तेज तलवार है मुसलमान,
मैदान-ए-जंग में तेज तलवार है मुसलमान,
Sahil Ahmad
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
शेखर सिंह
कभी हैं भगवा कभी तिरंगा देश का मान बढाया हैं
कभी हैं भगवा कभी तिरंगा देश का मान बढाया हैं
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
प्रेरणा गीत (सूरज सा होना मुश्किल पर......)
प्रेरणा गीत (सूरज सा होना मुश्किल पर......)
अनिल कुमार निश्छल
त्याग
त्याग
AMRESH KUMAR VERMA
जलियांवाला बाग,
जलियांवाला बाग,
अनूप अम्बर
प्रेम.....
प्रेम.....
हिमांशु Kulshrestha
*मोती (बाल कविता)*
*मोती (बाल कविता)*
Ravi Prakash
"बढ़"
Dr. Kishan tandon kranti
सत्य दीप जलता हुआ,
सत्य दीप जलता हुआ,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
" मेरे जीवन का राज है राज "
Dr Meenu Poonia
चाँद सी चंचल चेहरा🙏
चाँद सी चंचल चेहरा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हिन्दी
हिन्दी
लक्ष्मी सिंह
- फुर्सत -
- फुर्सत -
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
💐अज्ञात के प्रति-112💐
💐अज्ञात के प्रति-112💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कितनी बार शर्मिंदा हुआ जाए,
कितनी बार शर्मिंदा हुआ जाए,
ओनिका सेतिया 'अनु '
2513.पूर्णिका
2513.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
अपनी सोच
अपनी सोच
Ravi Maurya
अर्थ  उपार्जन के लिए,
अर्थ उपार्जन के लिए,
sushil sarna
Loading...