Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Feb 2017 · 1 min read

नये साल की पहली सुबह

?????
नये साल की पहली
सुबह की सर्दी,
और एक कप चाय की
गरमा-गरम चुस्की।
ठंढ से ठिठुरती,
रजाई में सिकुरती।
रिश्तों की आहट,
कुछ सकपकाहट।
पक्षियों की मधुर चहक,
शुभकामनाओं की महक।
बीते बरस की
यादें खट्टी-मीठी,
मन में संवेदनाओं
की चहलकदमी।
हर मुख सजीला,
हर ढंग रंगीला।
रूठे हुओ की मनुहार,
अपनो का प्यार दुलार।
हर ओर प्रसन्नता,
आशा की किरण उगता।
नव वर्ष की पहली सुबह,
मन को करता हरा-भरा।
हँसती हुई उषा नव वर्ष
का स्वागत करता हुआ।
नई उम्मीदें, नई जोश,
नई ताजगी भरता हुआ।
नई साल की पहली सुबह,
जाने कितने बाते गई कह।
????-लक्ष्मी सिंह ?☺

Language: Hindi
379 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
ये नयी सभ्यता हमारी है
ये नयी सभ्यता हमारी है
Shweta Soni
दो पाटन की चक्की
दो पाटन की चक्की
Harminder Kaur
सत्तर भी है तो प्यार की कोई उमर नहीं।
सत्तर भी है तो प्यार की कोई उमर नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
ना रहा यकीन तुझपे
ना रहा यकीन तुझपे
gurudeenverma198
मेरा शरीर और मैं
मेरा शरीर और मैं
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मिट न सके, अल्फ़ाज़,
मिट न सके, अल्फ़ाज़,
Mahender Singh Manu
हे🙏जगदीश्वर आ घरती पर🌹
हे🙏जगदीश्वर आ घरती पर🌹
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Writing Challenge- मुस्कान (Smile)
Writing Challenge- मुस्कान (Smile)
Sahityapedia
2843.*पूर्णिका*
2843.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पहाड़ पर कविता
पहाड़ पर कविता
Brijpal Singh
मेरी चुनरी में लागा दाग, कन्हैया
मेरी चुनरी में लागा दाग, कन्हैया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
काशी
काशी
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
ना हो अपनी धरती बेवा।
ना हो अपनी धरती बेवा।
Ashok Sharma
बिताया कीजिए कुछ वक्त
बिताया कीजिए कुछ वक्त
पूर्वार्थ
🌿 Brain thinking ⚘️
🌿 Brain thinking ⚘️
Ms.Ankit Halke jha
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
आर.एस. 'प्रीतम'
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
.....*खुदसे जंग लढने लगा हूं*......
.....*खुदसे जंग लढने लगा हूं*......
Naushaba Suriya
कई रंग देखे हैं, कई मंजर देखे हैं
कई रंग देखे हैं, कई मंजर देखे हैं
कवि दीपक बवेजा
51-   प्रलय में भी…
51- प्रलय में भी…
Rambali Mishra
मुझे भी बतला दो कोई जरा लकीरों को पढ़ने वालों
मुझे भी बतला दो कोई जरा लकीरों को पढ़ने वालों
VINOD CHAUHAN
कांटों में जो फूल.....
कांटों में जो फूल.....
Vijay kumar Pandey
" मैं सिंह की दहाड़ हूँ। "
Saransh Singh 'Priyam'
*ख़ास*..!!
*ख़ास*..!!
Ravi Betulwala
कुछ दर्द झलकते आँखों में,
कुछ दर्द झलकते आँखों में,
Neelam Sharma
ईश्वर का अस्तित्व एवं आस्था
ईश्वर का अस्तित्व एवं आस्था
Shyam Sundar Subramanian
#धोती (मैथिली हाइकु)
#धोती (मैथिली हाइकु)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
!! सत्य !!
!! सत्य !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
जो कहना है खुल के कह दे....
जो कहना है खुल के कह दे....
Shubham Pandey (S P)
भ्रात प्रेम का रूप है,
भ्रात प्रेम का रूप है,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...