नकल उन्मूलन
नकल से मंज़िल आसान नहीं होती।
बिन पंख के जैसे उड़ान नहीं होती।
ज्ञान से सफलता के खुलते हैं रास्ते,
बिन ज्ञान इंसान की पहचान नहीं होती।
सालभर क़िताबें खोलता नहीं है जो।
नई तरक़ीबें नकल की सोचता है वो।
अरे!कहदो उससे तुम-
ऐसे परीक्षाएँ पास नादान नहीं होती।
बिन पंख के……………।
धोखे-दौलत की डिग्री काम नहीं आती।
सुबह चाहे आए इसकी शाम नहीं आती।
अरे!कहदो उससे तुम-
क़ाग़ज़ी-फूलों में कभी जान नहीं होती।
बिन पंख के……………..।
करो मेहनत तुम ज़िन्दगी सँवर जाएगी।
वरना हार की हवा में ये बिखर जाएगी।
अरे!सुनलो कान खोल तुम-
चोरदिल होठों पर मुस्क़ान नहीं होती।
राधेश्याम “प्रीतम”
“””””””””””