Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Apr 2017 · 4 min read

धार्मिक सहिष्णुता बनाम राष्ट्रीय एकता

” धार्मिक सहिष्णुता बनाम राष्ट्रीय एकता ”
============================

धार्मिक सहिष्णुता को समझने के लिए “धर्म ” और “सहिष्णुता’ के वास्तविक मर्म को समझना जरूरी है | क्यों कि धर्म और सहिष्णुता दोनों ही सद्गुणों और उच्च मानवीय आदर्शों की ही एक आध्यात्मिक अभिव्यक्ति हैं | धर्म की पराकाष्ठा न केवल ऐतिहासिक है वरन् यह भौगोलिक , सामाजिक , सांस्कृतिक , धार्मिक , दार्शनिक और वैज्ञानिक रूप में भी अपना स्थायित्व बनाए हुए है जबकि संस्कृतिकरण ,नैतिकता और सद्गुणों के कारण ” सहिष्णुता ” मानव समाज में स्थायित्व लिए हुए है |

धर्म — सामान्यत : धर्म का अर्थ – अदृश्य , अलौकिक , आध्यात्मिक और अतिमानवीय शक्तियों पर विश्वास से लिया जाता है | यह विश्वास मानव समाज का व्यापक , विकेन्द्रित ,शाश्वत और स्थाई तत्व है | शाब्दिक दृष्टिकोण से ” धर्म ” शब्द “धृ” धातु से निस्सृत हुआ है ,जिसका अर्थ है — धारण करना , बनाए रखना , पुष्ट करना | अत : हम कह सकते हैं कि धर्म — समग्र विश्व तथा मानव जीवन के प्रति एक निश्चित आध्यात्मिक विश्वास ,आस्था अथवा तत्वमीमांसीय दृष्टिकोण है जो मनुष्य को मानवता तथा नैतिकता का पालन करना सिखाता है | धर्म में एक उच्चतम आदर्श या परमश्रेय की चेतना विद्यमान रहती है ,जिसके परिणामस्वरूप उच्चतम लक्ष्य की और प्रगति की प्रेरणा एवं प्रवृत्ति का होना अनिवार्य है | दूसरे शब्दों में — धर्म , मानव के लिए एक प्रमुख आध्यात्मिक प्रेरक तत्व है ,जिसकी उत्पत्ति ” आध्यात्मिक भूख ” से होती है | धर्म मुख्यत: दो प्रकार का है —
१. सामान्य धर्म — इसे “मानव धर्म “भी कहते हैं | इसके अन्तर्गत वे नैतिक नियम समाहित हैं ,जिनके अनुरूप आचरण करना प्रत्येक मानव का परम दायित्व है | इस धर्म का मूल लक्ष्य मानव मात्र में सद्गुणों का विकास और उसकी श्रेष्ठता को जाग्रत करना है |
२. विशेष धर्म — इसे “स्वधर्म” भी कहा गया है | इसके अन्तर्गत वे सभी कर्तव्य आते हैं ,जिनका देश-काल और वातावरण को ध्यान में रखते हुए पालन करना व्यक्ति के लिए आवश्यक है | इसके अन्तर्गत — वर्ण धर्म , आश्रम धर्म , कुल धर्म , राज धर्म ,युग धर्म ,मित्र धर्म ,गुरू धर्म इत्यादि आते हैं |

सहिष्णुता : — सहिष्णुता से तात्पर्य है – धैर्यशीलता , सहनशीलता और क्षमाशीलता |
दूसरे शब्दों में — मानव द्वारा सद्गुणी जीवन जीते हुए एवं नैतिकता का अनुसरण करते हुए अपने भीतर धैर्य ,क्षमा और सहनशीलता जैसे उच्चतम भावों को चरित्र में उतारना ही सहिष्णुता है | यह एक नीतिमीमांसीय पहलू है ,जो कि समाज में शांति , प्रेम , भातृत्व , उपकार ,समानता , समरसता और स्थायित्व को जन्म देकर उसे मजबूती प्रदान करता है |सहिष्णुता , मानव की भावनात्मक शक्ति है ,जो उसे सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है | सैद्धान्तिक दृष्टि से यह एक उपयोगितावादी दृष्टिकोण है |

धार्मिक सहिष्णुता — अपने धर्म की रक्षा और पालन के साथ-साथ व्यक्तिगत एवं सामूहिक विविध धर्मों के प्रति धैर्यशीलता ,सहनशीलता और क्षमाशीलता जैसे मानवीय गुणों को अपनाते हुए अन्य धर्मों का आदर-सम्मान करना ही धार्मिक सहिष्णुता है | वैश्विक समुदाय में अनेक धर्म और उनके अनुयायी रहते है , जो कि अपने-अपने धर्म का पालन करते हुए दूसरे धर्म का आदर करते हैं | बहुत से ऐसे केन्द्र हैं जहाँ समानता ,समरसता और भाईचारे को प्रगाढ़ता प्रदान की जाती है जैसे – मक्का-मदीना ,अजमेर ,वैष्णों देवी , अमृतसर , बोरोबुदर , वृंदावन , काशी , कैलाश इत्यादि-इत्यादि | ये स्थल बताते हैं कि मानव-धर्म ही वास्तविक धर्म है | यहाँ एक दूसरे के व्यक्तिगत एवं सामूहिक धर्मों का आदर किया जाता है | धार्मिक सहिष्णुता के बीज हमें वैदिक काल से ही देखने को मिलते हैं , जहाँ बहुदेववाद के रूप में आध्यात्मिक प्राकृतिक शक्तियों का आदर धर्म की उत्पत्ति का मूल कारण बना |

धार्मिक सहिष्णुता बनाम राष्ट्रीय एकता : —
———————————————- “एकता” की अवधारणा मूलत: धार्मिक सहिष्णुता से ही प्रस्फुटित हुई है | चूँकि राष्ट्रीय एकता एक सर्वोपरि वैचारिक लक्ष्य है, जो राष्ट्र-निर्माण और विकास के लिए जरूरी भी है | धार्मिक सहिष्णुता ,राष्ट्रीय एकता के लिए सारभूत और मूलभूत नैतिक विचार है ,जो कि किसी भी राष्ट्र के नागरिकों में समानता ,समरसता ,भातृत्व और एक दूसरे के लिए सम्मान की भावना को उद्गमित करता है | यही वह पवित्र साधन है ,जिससे राष्ट्र की एकता और अखण्डता के पवित्र साध्य को प्राप्त किया जा सकता है | धार्मिक सहिष्णुता द्वारा राष्ट्रीय एकता को हम भारत के आदर्श उदाहरण द्वारा निम्नांकित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं —
१. विविध धर्म के लोगों का आपसी सहसंबंध और सद्भभावना और सहयोग पूर्वक निवास करना |
२. एक दूसरे के धर्म का आदर !
३. साम्प्रदायिक सद्भभाव !
४. राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखना !
५. भारतीय संस्कृति और समाज की मान्यताओं का नैतिक होना !
६. नैतिक और सद्गुणी शिक्षा से जुड़ाव !
७. संविधान का पालन !
८. कानून की अनुपालना !
९. राष्ट्रीय आंदोलन के आदर्शों और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान की भावना !
१० राष्ट्रीय प्रतीकों को जीवन में आत्मसात् करने की प्रवृत्ति !

निष्कर्ष :– चूँकि धार्मिक सहिष्णुता , राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए ज्ञानमीमांसीय ,तत्वमीमांसीय और नीतिमीमांसीय तीनों दृष्टिकोणों से मूलत : प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़ी हुई मूल विचारधारा है | अत: इसके स्थायित्व के लिए यह मूलभूत जड़ है ,जो आदर्श राज्य के लिए उत्तरदायी है | हालांकि कभी-कभी कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा धार्मिक सहिष्णुता को धार्मिक असहिष्णुता का रूप देने का प्रयास किया जाता है ,किन्तु इसके लिए हमें निश्चित और कारगर उपाय करने चाहिए जैसे —
१. बच्चों को नैतिक शिक्षा देना !
२. परिवार ,जो कि बच्चे की प्रथम पाठशाला होती है , वहीं से बच्चे का सद्गुणों ,संस्कारों और नैतिक विचारों का विकास करना !
३. राष्ट्र हित में व्यक्तिगत जिम्मेदारी का एहसास कराना !
४. राष्ट्र-द्रोह के मामले में कठोर सजा का प्रावधान !
५. धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सामूहिक आयोजन करना !

—————————————————–
— डॉ० प्रदीप कुमार “दीप “

Language: Hindi
Tag: लेख
4369 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अपनी मनमानियां _ कब तक करोगे ।
अपनी मनमानियां _ कब तक करोगे ।
Rajesh vyas
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
💐प्रेम कौतुक-159💐
💐प्रेम कौतुक-159💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दोस्ती
दोस्ती
Neeraj Agarwal
-- क्लेश तब और अब -
-- क्लेश तब और अब -
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
यहा हर इंसान दो चहरे लिए होता है,
यहा हर इंसान दो चहरे लिए होता है,
Happy sunshine Soni
बढ़ी शय है मुहब्बत
बढ़ी शय है मुहब्बत
shabina. Naaz
हमें यह ज्ञात है, आभास है
हमें यह ज्ञात है, आभास है
DrLakshman Jha Parimal
"यादें अलवर की"
Dr Meenu Poonia
ले चल मुझे भुलावा देकर
ले चल मुझे भुलावा देकर
Dr Tabassum Jahan
24/241. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/241. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सफ़र है बाकी (संघर्ष की कविता)
सफ़र है बाकी (संघर्ष की कविता)
Dr. Kishan Karigar
पर्यावरण
पर्यावरण
Dr Parveen Thakur
दान देने के पश्चात उसका गान  ,  दान की महत्ता को कम ही नहीं
दान देने के पश्चात उसका गान , दान की महत्ता को कम ही नहीं
Seema Verma
*आ गया मौसम वसंती, फागुनी मधुमास है (गीत)*
*आ गया मौसम वसंती, फागुनी मधुमास है (गीत)*
Ravi Prakash
अश्क तन्हाई उदासी रह गई - संदीप ठाकुर
अश्क तन्हाई उदासी रह गई - संदीप ठाकुर
Sundeep Thakur
काश तुम मेरी जिंदगी में होते
काश तुम मेरी जिंदगी में होते
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
At the age of 18, 19, 20, 21+ you will start to realize that
At the age of 18, 19, 20, 21+ you will start to realize that
पूर्वार्थ
जिंदगी तुझको सलाम
जिंदगी तुझको सलाम
gurudeenverma198
कभी जब ग्रीष्म ऋतु में
कभी जब ग्रीष्म ऋतु में
Ranjana Verma
जब आसमान पर बादल हों,
जब आसमान पर बादल हों,
Shweta Soni
हिंदी दोहा- अर्चना
हिंदी दोहा- अर्चना
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
মন এর প্রাসাদ এ কেবল একটাই সম্পদ ছিলো,
মন এর প্রাসাদ এ কেবল একটাই সম্পদ ছিলো,
नव लेखिका
"ऐ जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरा भारत देश
मेरा भारत देश
Shriyansh Gupta
बदलने को तो इन आंखों ने मंजर ही बदल डाले
बदलने को तो इन आंखों ने मंजर ही बदल डाले
हरवंश हृदय
Life is too short to admire,
Life is too short to admire,
Sakshi Tripathi
मुझे याद🤦 आती है
मुझे याद🤦 आती है
डॉ० रोहित कौशिक
दुर्योधन को चेतावनी
दुर्योधन को चेतावनी
SHAILESH MOHAN
Advice
Advice
Shyam Sundar Subramanian
Loading...