Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2017 · 1 min read

दो लफ्ज़

बेशर्म की कलम से

दो लफ्ज़ प्यार के

दो लफ्ज़ प्यार के गर मेरे नाम लिख देते।
तुम्हारे नाम ये किस्सा तमाम लिख देते।।

सुबह की धूप सी तुम एक बार हँस देती।।
तेरे हिस्से हरेक अपनी शाम लिख देते।।

बात चलती जो मोहब्बत में बादशाहत की।
हम अपने आपको तेरा गुलाम लिख देते।।

तुमको लगता है अगर गैर हूं तो गैर सही।
दूर से ही कभी मुझको सलाम लिख देते।।

उनको दी जन्नते जागीर मिलीं तुझसे खुदा।
बेशरम के लिए इक दो कलाम लिख देते।।

विजय बेशर्म
9424750038

640 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2759. *पूर्णिका*
2759. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अँधेरे में नहीं दिखता
अँधेरे में नहीं दिखता
Anil Mishra Prahari
हम थक हार कर बैठते नहीं ज़माने में।
हम थक हार कर बैठते नहीं ज़माने में।
Phool gufran
ज़रूरत के तकाज़ो पर
ज़रूरत के तकाज़ो पर
Dr fauzia Naseem shad
दूर चकोरी तक रही अकास...
दूर चकोरी तक रही अकास...
डॉ.सीमा अग्रवाल
सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
Sarfaraz Ahmed Aasee
■ आज का शेर...।
■ आज का शेर...।
*Author प्रणय प्रभात*
*साला-साली मानिए ,सारे गुण की खान (हास्य कुंडलिया)*
*साला-साली मानिए ,सारे गुण की खान (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet kumar Shukla
"आशा" के कवित्त"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
एक चिंगारी ही काफी है शहर को जलाने के लिए
एक चिंगारी ही काफी है शहर को जलाने के लिए
कवि दीपक बवेजा
उसका चेहरा उदास था
उसका चेहरा उदास था
Surinder blackpen
21)”होली पर्व”
21)”होली पर्व”
Sapna Arora
तुम्हारे दीदार की तमन्ना
तुम्हारे दीदार की तमन्ना
Anis Shah
माँ (खड़ी हूँ मैं बुलंदी पर मगर आधार तुम हो माँ)
माँ (खड़ी हूँ मैं बुलंदी पर मगर आधार तुम हो माँ)
Dr Archana Gupta
नन्ही मिष्ठी
नन्ही मिष्ठी
Manu Vashistha
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
आर.एस. 'प्रीतम'
Mai apni wasiyat tere nam kar baithi
Mai apni wasiyat tere nam kar baithi
Sakshi Tripathi
ख़ामोश सा शहर
ख़ामोश सा शहर
हिमांशु Kulshrestha
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
Ranjeet kumar patre
वोट दिया किसी और को,
वोट दिया किसी और को,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
Rj Anand Prajapati
चन्द्रयान पहुँचा वहाँ,
चन्द्रयान पहुँचा वहाँ,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
पिता के पदचिह्न (कविता)
पिता के पदचिह्न (कविता)
दुष्यन्त 'बाबा'
काली सी बदरिया छाई रे
काली सी बदरिया छाई रे
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
हर वर्ष जलाते हो हर वर्ष वो बचता है।
हर वर्ष जलाते हो हर वर्ष वो बचता है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
नज़र का फ्लू
नज़र का फ्लू
आकाश महेशपुरी
"कहाँ ठिकाना होगा?"
Dr. Kishan tandon kranti
गाँव सहर मे कोन तीत कोन मीठ! / MUSAFIR BAITHA
गाँव सहर मे कोन तीत कोन मीठ! / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
Loading...