Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2016 · 1 min read

दोहे रमेश के नववर्ष पर (२०१७ )

पन्नो मे इतिहास के, लिखा स्वयं का नाम !
दो हजार सोलह चला,..यादें छोड तमाम !!

दो हजार सोलह चला, ले कर नोट हजार !
दो हजार के नोट का,.दे कर के उपहार !!

दो हजार सोलह चला, छोड सभी का साथ !
हमें थमा कर हाथ में,. नये साल का हाथ !!

जाते-जाते दे गया, घाव कई यह साल !
निर्धन हुए अमीर तो, भ्रष्ट हुए कंगाल !!

हो जाए अब तो विदा, कलुषित भ्रष्टाचार !
यही सोचकर हो रही, लम्बी रोज कतार !!

ढेरों मिली बधाइयाँ,……बेहिसाब संदेश !
मिली धड़ी की सूइंयाँ,ज्यों ही रात “रमेश”!!

मदिरा में डूबे रहे, …लोग समूची रात !
नये साल की दोस्तों, यह कैसी सुरुआत !!

नये साल की आ गई, नयी नवेली भोर !
मानव पथ पे नाचता, जैसे मन मे मोर !!

नये साल का कीजिये, जोरों से आगाज !
दीवारों पर टांगिये, .नया कलैंडर आज !!

घर में खुशियों का सदा,. भरा रहे भंडार !
यही दुआ नव वर्ष मे,समझो नव उपहार !!

आयेगा नववर्ष में, …..शायद कुछ बदलाव !
यही सोच कर आज फिर, कर लेता हूँ चाव !!
रमेश शर्मा, मुंबई.

Language: Hindi
1 Like · 1263 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"सियासत का सेंसेक्स"
*Author प्रणय प्रभात*
अपने अच्छे कर्मों से अपने व्यक्तित्व को हम इतना निखार लें कि
अपने अच्छे कर्मों से अपने व्यक्तित्व को हम इतना निखार लें कि
Paras Nath Jha
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
पूर्वार्थ
आग लगाते लोग
आग लगाते लोग
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
3150.*पूर्णिका*
3150.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चोट शब्द की न जब सही जाए
चोट शब्द की न जब सही जाए
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
नीति प्रकाश : फारसी के प्रसिद्ध कवि शेख सादी द्वारा लिखित पुस्तक
नीति प्रकाश : फारसी के प्रसिद्ध कवि शेख सादी द्वारा लिखित पुस्तक "करीमा" का ब्रज भाषा में अनुवाद*
Ravi Prakash
नफरत दिलों की मिटाने, आती है यह होली
नफरत दिलों की मिटाने, आती है यह होली
gurudeenverma198
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
काश ! ! !
काश ! ! !
Shaily
हर एक राज को राज ही रख के आ गए.....
हर एक राज को राज ही रख के आ गए.....
कवि दीपक बवेजा
रोजी रोटी के क्या दाने
रोजी रोटी के क्या दाने
AJAY AMITABH SUMAN
जीवन संध्या में
जीवन संध्या में
Shweta Soni
* मायने शहर के *
* मायने शहर के *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हुऐ बर्बाद हम तो आज कल आबाद तो होंगे
हुऐ बर्बाद हम तो आज कल आबाद तो होंगे
Anand Sharma
पहाड़ का अस्तित्व - पहाड़ की नारी
पहाड़ का अस्तित्व - पहाड़ की नारी
श्याम सिंह बिष्ट
पिता की आंखें
पिता की आंखें
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
❤️🌺मेरी मां🌺❤️
❤️🌺मेरी मां🌺❤️
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
सारे  ज़माने  बीत  गये
सारे ज़माने बीत गये
shabina. Naaz
सूरज दादा ड्यूटी पर
सूरज दादा ड्यूटी पर
डॉ. शिव लहरी
कहते हैं,
कहते हैं,
Dhriti Mishra
भाग्य - कर्म
भाग्य - कर्म
Buddha Prakash
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
रोमांटिक रिबेल शायर
रोमांटिक रिबेल शायर
Shekhar Chandra Mitra
कल हमारे साथ जो थे
कल हमारे साथ जो थे
ruby kumari
है धरा पर पाप का हर अभिश्राप बाकी!
है धरा पर पाप का हर अभिश्राप बाकी!
Bodhisatva kastooriya
बोध
बोध
Dr.Pratibha Prakash
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
कवि रमेशराज
गीत लिखूं...संगीत लिखूँ।
गीत लिखूं...संगीत लिखूँ।
Priya princess panwar
बचपन और पचपन
बचपन और पचपन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
Loading...