दोस्त
उम्र बित गये,
दोस्त बनाते बनाते ।
सफर कट गये,
उन्हें निभाते निभाते।
पर वो दोस्त मेरा,
कही खो सा गया ।
जो चलता था,
हर वक्त मुझे हंसाते हंसाते ।
याद आता है
उसका वो सताना,
कङवी बातो से,
मुझको रुलाना ।
बिना बात के ही,
फिर जोर से हंसाना ।
हर मुश्किल में मेरे,
उसका वो हौसला बढ़ाना ।
गलतियां करके ,
फिर बाद में पछताना ।
कुछ न बताने पर भी ,
उसका वो समझ जाना ।
मुझे पटक पटक कर ,
फिर गले से लगाना ।
देख मुझे,
उसका वो दुर से चिल्लाना ।
हर गलतियों पर मेरे ,
गालियों का बरसाना ।
मेरी मुरझाई आँखों को देख कर,
उसका वो कह जाना ।
“तु फिकर मत कर मै हूँ न ”
कुछ लफ्जों में ही ,
मेरे हर दर्द दिल की दवा कर जाना।
वो दर्द भी हसीन था मेरा,
जो जिंदगी में आया ।
उस पल में मैंने ,
तुमसा दोस्त जो पाया ।
” काजल सोनी “