Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Aug 2016 · 1 min read

दोषी कौन? नेता या जनता

मैं नेता हूँ एक राजनेता इसीलिए बहुत बदनाम हूँ मैं।
मुँह पर तुम जैसों से सुनता प्रशंसा सुबह शाम हूँ मैं।

पीठ पीछे तुम जैसे मुझे गाली देते हैं देते बद्दुआ हैं,
खूब कहते हैं राजनीति करने में हो रहा नाकाम हूँ मैं।

पर सच तो ये है जितना मैं दोषी हूँ उतने तुम भी हो,
लेकिन तुम ही बताओ तुम्हें कब देता इल्जाम हूँ मैं।

कभी अकेले में अपने गिरेबान में झाँक कर देखना तुम,
तुम्हारी ही गलत सोच एवँ नीतियों का दुष्परिणाम हूँ मैं।

रिश्वत लेना मुझे तुमने ही सिखाया था भूल गए क्या,
तुम ही आते हो देने तब ही लेता नौकरियों के दाम हूँ मैं।

लाख गुनाह कर लूँ पर तुम हर गुनाह को भुला देते हो,
इसीलिए हर गुनाह को अब तो करता सरेआम हूँ मैं।

अनपढ़ होते हुए बड़े बड़े अफसरों की क्लास लेता हूँ,
ना माने जो कहा मेरा करता उसकी नींद हराम हूँ मैं।

ऐ जनाब! शराब, शबाब, कबाब हर ऐब है मुझ में,
पर ऐब करता हूँ पर्दे में रहकर इसलिए लगता राम हूँ मैं।

मैं कितना ही भ्रष्टाचार कर लूँ कितने ही घोटाले कर लूँ,
फिर भी नेता चुनते हो इसीलिए करता ऐसे काम हूँ मैं।

अब तुम ही कहो असली मायनों में दोषी कौन है हम में,
तुम्हीं बनाते हो नेता, तुम्हारे ही लहू का पीता जाम हूँ मैं।

सुलक्षणा अब के बाद मुझे दोष मत देना तुम कभी भी,
मुझ पर ऊँगली उठाने वालों का करता काम तमाम हूँ मैं।

Language: Hindi
479 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वाह टमाटर !!
वाह टमाटर !!
Ahtesham Ahmad
बिन मौसम बरसात
बिन मौसम बरसात
लक्ष्मी सिंह
■ गीत / पधारो मातारानी
■ गीत / पधारो मातारानी
*Author प्रणय प्रभात*
"मुखौटे"
इंदु वर्मा
कुछ पल साथ में आओ हम तुम बिता लें
कुछ पल साथ में आओ हम तुम बिता लें
Pramila sultan
💐प्रेम कौतुक-294💐
💐प्रेम कौतुक-294💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ट्रेन दुर्घटना
ट्रेन दुर्घटना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
Dr MusafiR BaithA
साहित्य का पोस्टमार्टम
साहित्य का पोस्टमार्टम
Shekhar Chandra Mitra
यह सुहाना सफर अभी जारी रख
यह सुहाना सफर अभी जारी रख
Anil Mishra Prahari
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
तुम्हारा साथ
तुम्हारा साथ
Ram Krishan Rastogi
बालबीर भारत का
बालबीर भारत का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Dr Arun Kumar Shastri
Dr Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कई रात को भोर किया है
कई रात को भोर किया है
कवि दीपक बवेजा
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
सत्य कुमार प्रेमी
"सुनो"
Dr. Kishan tandon kranti
कमियों पर
कमियों पर
REVA BANDHEY
रूप से कह दो की देखें दूसरों का घर,
रूप से कह दो की देखें दूसरों का घर,
पूर्वार्थ
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
Phool gufran
शिव-शक्ति लास्य
शिव-शक्ति लास्य
ऋचा पाठक पंत
जब किसी व्यक्ति और महिला के अंदर वासना का भूकम्प आता है तो उ
जब किसी व्यक्ति और महिला के अंदर वासना का भूकम्प आता है तो उ
Rj Anand Prajapati
क्रिकेटफैन फैमिली
क्रिकेटफैन फैमिली
Dr. Pradeep Kumar Sharma
घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि (स्मारिका)
घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि (स्मारिका)
Dr. Narendra Valmiki
बेरोजगार
बेरोजगार
Harminder Kaur
दिल में भी
दिल में भी
Dr fauzia Naseem shad
हिंसा
हिंसा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मुहब्बत की लिखावट में लिखा हर गुल का अफ़साना
मुहब्बत की लिखावट में लिखा हर गुल का अफ़साना
आर.एस. 'प्रीतम'
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मेरे रहबर मेरे मालिक
मेरे रहबर मेरे मालिक
gurudeenverma198
Loading...