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3 Oct 2016 · 1 min read

देश प्रेम

करने दो हुंकार अब,बस मातृभूमि का सत्कार अब
बजने दो मृदंग,कर दो संखनाद अब,
भरो कुछ ऐसा ही दम्भ,कण कण में दिखे देश प्रेम का रंग,
चूल्हे हिले,भूचाल मानो,सर्वनाश की आहट पहचानो,
जीना सीखो और जीने दो कही छिंड जाये न धर्म-पाप की जंग ll

मृदुल चंद्र श्रीवास्तव

Language: Hindi
663 Views
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