Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Nov 2016 · 1 min read

देख लीं आपकी खूबियाँ इसलिये

जाननी थीं स्वयं खामियाँ इसलिये
देख लीं आपकी खूबियाँ इसलिये

चूँकि हम आम इंसान ही हैं यहाँ
हमसे होती रहीं गलतियाँ इसलिये

याद में डूबना दिल को अच्छा लगा
भा रहीं आज तन्हाइयाँ इसलिये

बात करने लगे नैन से नैन अब
बन गईँ चाह खामोशियाँ इसलिये

प्यार के दीप बुझ ही न जायें कहीं
रोक नफरत की लीं आँधियाँ इसलिये

चाँद से माँगनी थी पिया की उमर
‘अर्चना’ को सजीं थालियाँ इसलिये

डॉ अर्चना गुप्ता

1 Comment · 489 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
हैवानियत के पाँव नहीं होते!
हैवानियत के पाँव नहीं होते!
Atul "Krishn"
// अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद //
// अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जरूरी नहीं की हर जख़्म खंजर ही दे
जरूरी नहीं की हर जख़्म खंजर ही दे
Gouri tiwari
सुकूं आता है,नहीं मुझको अब है संभलना ll
सुकूं आता है,नहीं मुझको अब है संभलना ll
गुप्तरत्न
मित्र, चित्र और चरित्र बड़े मुश्किल से बनते हैं। इसे सँभाल क
मित्र, चित्र और चरित्र बड़े मुश्किल से बनते हैं। इसे सँभाल क
Anand Kumar
अर्चना की कुंडलियां भाग 2
अर्चना की कुंडलियां भाग 2
Dr Archana Gupta
(1) मैं जिन्दगी हूँ !
(1) मैं जिन्दगी हूँ !
Kishore Nigam
*हमारे ठाठ मत पूछो, पराँठे घर में खाते हैं (मुक्तक)*
*हमारे ठाठ मत पूछो, पराँठे घर में खाते हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
"परवाज"
Dr. Kishan tandon kranti
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
23/92.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/92.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भीष्म के उत्तरायण
भीष्म के उत्तरायण
Shaily
प्रेम अपाहिज ठगा ठगा सा, कली भरोसे की कुम्हलाईं।
प्रेम अपाहिज ठगा ठगा सा, कली भरोसे की कुम्हलाईं।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
जोश,जूनून भरपूर है,
जोश,जूनून भरपूर है,
Vaishaligoel
1. चाय
1. चाय
Rajeev Dutta
लगाये तुमको हम यह भोग,कुंवर वीर तेजाजी
लगाये तुमको हम यह भोग,कुंवर वीर तेजाजी
gurudeenverma198
सब अपने नसीबों का
सब अपने नसीबों का
Dr fauzia Naseem shad
It always seems impossible until It's done
It always seems impossible until It's done
Naresh Kumar Jangir
खेल भावनाओं से खेलो, जीवन भी है खेल रे
खेल भावनाओं से खेलो, जीवन भी है खेल रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दिल से करो पुकार
दिल से करो पुकार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मदर्स डे
मदर्स डे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
रहे इहाँ जब छोटकी रेल
रहे इहाँ जब छोटकी रेल
आकाश महेशपुरी
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
इत्र, चित्र, मित्र और चरित्र
इत्र, चित्र, मित्र और चरित्र
Neelam Sharma
कचनार kachanar
कचनार kachanar
Mohan Pandey
द्वंद अनेकों पलते देखे (नवगीत)
द्वंद अनेकों पलते देखे (नवगीत)
Rakmish Sultanpuri
सफलता
सफलता
Babli Jha
" मन भी लगे बवाली "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
कौन उठाये मेरी नाकामयाबी का जिम्मा..!!
कौन उठाये मेरी नाकामयाबी का जिम्मा..!!
Ravi Betulwala
मुझसे मिलने में तुम्हें,
मुझसे मिलने में तुम्हें,
Dr. Man Mohan Krishna
Loading...