देख लीं आपकी खूबियाँ इसलिये
जाननी थीं स्वयं खामियाँ इसलिये
देख लीं आपकी खूबियाँ इसलिये
चूँकि हम आम इंसान ही हैं यहाँ
हमसे होती रहीं गलतियाँ इसलिये
याद में डूबना दिल को अच्छा लगा
भा रहीं आज तन्हाइयाँ इसलिये
बात करने लगे नैन से नैन अब
बन गईँ चाह खामोशियाँ इसलिये
प्यार के दीप बुझ ही न जायें कहीं
रोक नफरत की लीं आँधियाँ इसलिये
चाँद से माँगनी थी पिया की उमर
‘अर्चना’ को सजीं थालियाँ इसलिये
डॉ अर्चना गुप्ता