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5 Aug 2017 · 1 min read

दूर जो तुझसे हुआ प्रिय……

दूर जो तुझसे हुआ प्रिय नयना अभिराम लरजता है
सावन की रिमझिम बूंदों को मन देखता और तरसता है
जो साथ तुम्हारे मैं होता जीवन कितना सुन्दर होता
यहीं सोच हृदय को बेध रहा नैनो से नीर बरसता है।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

Language: Hindi
535 Views
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