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8 Oct 2017 · 1 min read

दीप जलाते हो

क्यों आस के दिप जलाते हो
तुम क्यों सपनो में आते हो?

एक बूँद की आस नही जब
थक जाते है ढूंढ -ढूंढ जल ,
तपता है मरुस्थल सा जीवन
तब तुम मधु बरसाते हो ।

तुम क्यों सपनो में आते हो
क्यों आस के दीप जलाते हो?

मै बनकर धरा तुमको निहारु
तुम अनंत आकाश से छाए हो
जब जब मुझको प्यास जगी
तुम बादल बन बरस जाते हो

तुम क्यों सपनो में आते हो
क्यों आस के दिप जलाते हो?

Language: Hindi
Tag: गीत
423 Views
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