Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2017 · 1 min read

दिल्ली में जानलेवा प्रदुषण का कहर।

????
दिल्ली में जानलेवा प्रदूषण का कहर।
धीरे – धीरे जिस्म में फैलता जहर।

हवा में भरा रोगजनक, एलर्जी कारक।
भ्यानक धुन्ध ,जहरीली गैस की चादर।

है इसका असर हर जीव-जन्तु पर।
मानव,पशु-पक्षीऔर पेड़-पौधों पर।

खुली हवा में साँस लेना ही नहीं,
आँखें खोलना भी हो गया है दूभर।

बच्चों,बड़ों में दर्द दिखता है उभरकर।
घर हो या बाहर जहरीली गैस का असर।

गंदा खाना,गंदा पानी,दुषितहवा का स्तर।
लोगों का यहाँ तो जीना हुआ है दूभर।

समस्या खड़ी है सामने एक सवाल बनकर।
क्या जीना पड़ेगा सभी को मास्क पहनकर?

किस ओर जा रहा है हमारा जीवन स्तर।
राजधानी बना हुआ है एक गैस का चैम्बर।

ऐसे हाल में भी समस्या को मुद्दा बनाकर।
राजनीतिज्ञ लगें हैं अपनी रोटी सेकनें पर।

करो निदान इस समस्या का मिलजुल कर।
मत छोड़ो इस समस्या को सिर्फ सरकार पर।

प्रकृति से मत खेलो,हम निर्भर है इसपर।
नहीं तो बरसेगा हमपर,प्रकृति कहर बनकर।
????—लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
333 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
शीर्षक : पायजामा (लघुकथा)
शीर्षक : पायजामा (लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
जीवन को
जीवन को
Dr fauzia Naseem shad
तू  फितरत ए  शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है
तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है
Dr Tabassum Jahan
हर एक अनुभव की तर्ज पर कोई उतरे तो....
हर एक अनुभव की तर्ज पर कोई उतरे तो....
कवि दीपक बवेजा
नारी है नारायणी
नारी है नारायणी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर
gurudeenverma198
तू  मेरी जान तू ही जिंदगी बन गई
तू मेरी जान तू ही जिंदगी बन गई
कृष्णकांत गुर्जर
हमारा अपना........ जीवन
हमारा अपना........ जीवन
Neeraj Agarwal
समस्याओं के स्थान पर समाधान पर अधिक चिंतन होना चाहिए,क्योंकि
समस्याओं के स्थान पर समाधान पर अधिक चिंतन होना चाहिए,क्योंकि
Deepesh purohit
लोकतंत्र
लोकतंत्र
Sandeep Pande
भरोसा टूटने की कोई आवाज नहीं होती मगर
भरोसा टूटने की कोई आवाज नहीं होती मगर
Radhakishan R. Mundhra
जीभर न मिलीं रोटियाँ, हमको तो दो जून
जीभर न मिलीं रोटियाँ, हमको तो दो जून
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
2322.पूर्णिका
2322.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
प्रणय 8
प्रणय 8
Ankita Patel
वो तीर ए नजर दिल को लगी
वो तीर ए नजर दिल को लगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Propose Day
Propose Day
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"अगर"
Dr. Kishan tandon kranti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
सत्य कुमार प्रेमी
यदि आपका चरित्र और कर्म श्रेष्ठ हैं, तो भविष्य आपका गुलाम हो
यदि आपका चरित्र और कर्म श्रेष्ठ हैं, तो भविष्य आपका गुलाम हो
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
अश्लील साहित्य
अश्लील साहित्य
Sanjay ' शून्य'
धरती को‌ हम स्वर्ग बनायें
धरती को‌ हम स्वर्ग बनायें
Chunnu Lal Gupta
कुछ लोग अच्छे होते है,
कुछ लोग अच्छे होते है,
Umender kumar
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
Rj Anand Prajapati
** मंजिलों की तरफ **
** मंजिलों की तरफ **
surenderpal vaidya
उधार वो किसी का रखते नहीं,
उधार वो किसी का रखते नहीं,
Vishal babu (vishu)
कौन कहता है छोटी चीजों का महत्व नहीं होता है।
कौन कहता है छोटी चीजों का महत्व नहीं होता है।
Yogendra Chaturwedi
हाड़-माँस का है सुनो, डॉक्टर है इंसान (कुंडलिया)
हाड़-माँस का है सुनो, डॉक्टर है इंसान (कुंडलिया)
Ravi Prakash
दोहे- चरित्र
दोहे- चरित्र
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
Loading...