Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Sep 2017 · 1 min read

दिलों का आइना बिख़रा हुआ है

??
जिसे देखो वही टूटा हुआ है
दिलों का आइना बिख़रा हुआ है

मुहब्बत में मुझे धोख़ा हुआ है
मगर अफ़सोस क्यूँ चर्चा हुआ है

किधर जाएँ दिले नादान लेकर
बड़ा मुश्किल हरिक रस्ता हुआ है

मेरे आगोश में आए हो जब से
शबो-दिन जैसे अब ठहरा हुआ है

हवा छूकर तुम्हे जब आ गई तो
लगे सारा जहां महका हुआ है

वतन में चार सूं नफ़रत है “प्रीतम”
यहाँ माहौल तो गंदा हुआ है

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
१९/०९/२०१७
??????????

181 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
फितरते फतह
फितरते फतह
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
* मन में उभरे हुए हर सवाल जवाब और कही भी नही,,
* मन में उभरे हुए हर सवाल जवाब और कही भी नही,,
Vicky Purohit
अपनों को नहीं जब हमदर्दी
अपनों को नहीं जब हमदर्दी
gurudeenverma198
विश्व पुस्तक मेला, दिल्ली 2023
विश्व पुस्तक मेला, दिल्ली 2023
Shashi Dhar Kumar
माँ तेरा ना होना
माँ तेरा ना होना
shivam kumar mishra
“यादों के झरोखे से”
“यादों के झरोखे से”
पंकज कुमार कर्ण
जीना सीख लिया
जीना सीख लिया
Anju ( Ojhal )
में स्वयं
में स्वयं
PRATIK JANGID
👌काहे का डर...?👌
👌काहे का डर...?👌
*Author प्रणय प्रभात*
मेरे सपने बेहिसाब है।
मेरे सपने बेहिसाब है।
CA Amit Kumar
"कवि तो वही"
Dr. Kishan tandon kranti
भूल जाते हैं मौत को कैसे
भूल जाते हैं मौत को कैसे
Dr fauzia Naseem shad
*वृद्ध-आश्रम : आठ दोहे*
*वृद्ध-आश्रम : आठ दोहे*
Ravi Prakash
काश जन चेतना भरे कुलांचें
काश जन चेतना भरे कुलांचें
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
मेरे बुद्ध महान !
मेरे बुद्ध महान !
मनोज कर्ण
जाने कैसे आँख की,
जाने कैसे आँख की,
sushil sarna
संतोष करना ही आत्मा
संतोष करना ही आत्मा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
रो रो कर बोला एक पेड़
रो रो कर बोला एक पेड़
Buddha Prakash
हम मिले थे जब, वो एक हसीन शाम थी
हम मिले थे जब, वो एक हसीन शाम थी
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
Phool gufran
"ज्ञान रूपी दीपक"
Yogendra Chaturwedi
अब तो आ जाओ सनम
अब तो आ जाओ सनम
Ram Krishan Rastogi
किसी की याद आना
किसी की याद आना
श्याम सिंह बिष्ट
" बेशुमार दौलत "
Chunnu Lal Gupta
आज की प्रस्तुति - भाग #2
आज की प्रस्तुति - भाग #2
Rajeev Dutta
वक्त को वक्त समझने में इतना वक्त ना लगा देना ,
वक्त को वक्त समझने में इतना वक्त ना लगा देना ,
ज्योति
रात……!
रात……!
Sangeeta Beniwal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
आधुनिक बचपन
आधुनिक बचपन
लक्ष्मी सिंह
Loading...