दिपावली में व्यस्त हूँ,
दिपावली में व्यस्त हूँ
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आज मैं लिखूँ क्या,
नहीं है कुछ फूर रहा,
दिपावली में व्यस्त हूँ,
साथियों संग घूमने में व्यस्त हूँ।
आँगन- आँगन घूम रहा हूँ,
मित्रों से गले मिल मिलके खुशियाँ बटोर रहा हूँ,
बड़ों का मिल रहा आशीर्वाद,
और दे रहे हैं पान सुपाड़ी मीठे स्वाद।
सचमुच लछमी आ गई है,
क्योंकि सबके मुख पर खुशियाँ छा गई है,
यह खुशियाँ रहे हरेक बार,
मैया से कामना करता हूँ बारंबार।
——————— मनहरण मनहरण