दावत है….
सीरत पाई यार,तूने ग़ज़ब गुलाब की।
सूरत में झलक है,भौर के आफ़ताब की।
मस्वरा देते गर, मानो “प्रीतम” आब की।
दावत है रात को,इन आँखों में ख़्वाब की।
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सीरत पाई यार,तूने ग़ज़ब गुलाब की।
सूरत में झलक है,भौर के आफ़ताब की।
मस्वरा देते गर, मानो “प्रीतम” आब की।
दावत है रात को,इन आँखों में ख़्वाब की।
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