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12 Jun 2017 · 1 min read

दर्द

दर्द……
सादर प्रेषित।

काव्य की किसी भी विद्या में कह पाना मुश्किल है।
हृदय की वेदना समझा पाना मुश्किल है।
कैसे मैं अपने दर्द के सायों को करूं बयां?
दिल का दर्द ज़बां पे लाना मुश्किल है।
कुछ तो लिखती है एक विरहन की कलम
उसको अशआर और कविता में समझाना मुश्किल है।
दर्द तो सभी का खुद में है हिमालय नीलम
कम है या ज्यादा यह कह पाना मुश्किल है।

सुन,
उर का मेरे, चेहरा दिखाई देगा,
दर्द बोला तो सुनाई देगा।
कितनी भी ढकले तू रुख़ पर, बनावट की हंसी।
दर्द, हंसती हुई पलकों पे भी दिखाई देगा।
दिल समंदर है समेटे हुए अनगिनत तुफां,
दर्द का दरिया इसमें बहता दिखाई देगा।
हां, बहुत अरमां इस दिल के, दिल में ही रहे,
शोला अरमानों का अब जलता दिखाई देगा।
दर्द बोला तो सुनाई देगा।

कि दिल के दर्द की स्याही में डूबी है कलम,
बनके अब शब्द,मेरा दर्द दुहाई देगा।
बनाके बादल सोचा दर्द को उड़ादूंगी मैं,
पर अगर बरसा तो,भिगा ही देगा।
उड़ ही जाएंगे ये बादल, उड़ान हवा में भर लेंगे,
पर दर्द-ए-दिल तो हवा में भी दिखाई देगा।
दर्द बोला तो सुनाई देगा।
नीलम शर्मा

Language: Hindi
Tag: गीत
312 Views
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