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28 May 2017 · 1 min read

दफ्तर यहां

पल रहे अस्तीनों में विषधर यहां।
अपनों को ही निकलते अजगर यहां।।

क्या तमाशा देखिए इनका तमाशा।
लड़ते हैं आपस में बाजीगर यहां।।

दोस्तों किसको सुनाये राज ए दिल।
दिलों में ही खुल गये दफ्तर यहां।।

क्यों अदब किसका अदब कैसा अदब।
पैदा होते ही निकलते पर यहां।।

हाल बीवी बच्चों का मुझसे न पूछो।
दिन ढले ही पहुंचते हैं घर यहां।।

9424750038

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