तेरे बिन ये दिल उदास सा रहता है
तेरे बिन ये दिल उदास सा रहता है
दर्द नैन से चुपके चुपके बहता है
रात गुजारी है बस रो रो कर तूने
तेरी कहानी तेरा काजल कहता है
डरा कभी कब प्यार जमाने से देखो
सारे गम ही ये हँस हँस कर सहता है
टूट आदमी जाता है तब जीवन में
बना महल जब उम्मीदों का ढहता है
अपने दिल में हर कोई यहाँ ‘अर्चना’
पल पल की यादें चुन चुन कर तहता है
डॉ अर्चना गुप्ता