तेरी गोद सा घर नहीं
मुतफाइलुन मुतफाइलुन
11212 11212
तेरे जैसा कोई बसर नही
मां के साये जैसा शज़र नही
??
हम घूम लें —- ये जहां मगर
तेरी गोद सा— कोई घर नहीं
?
गर पास —जिसके है मां नही
तो समझ लो कोई है जर नही
??
जो न मिलती —तेरी दुआ मुझे
फिर तो कटता मेरा सफर नहीं
??
मेरी दुनिया है —-मां के पांव में
मां नही तो कुछ –भी इधर नहीं
??
मेरे चांद सा —–कोई कमर नही
उस अर्श को ——भी खबर नहीं
??
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)