–तेरी गली से गुज़रेंगे–
तेरी गली से गुज़रेंगे तो तेरा प्यार देखेंगे।
तेरी शख़्सियत को आज़माकर यार देखेंगे।।
जानते हैं देख हमें दरवाज़ा बंद कर लोगे।
खटखटाकर फिर भी हम बार-बार देखेंगे।।
लबों से छूकर फूल फैंकना चाहे पत्थर तुम।
ज़ख्म खाकर भी हम कूचा-ए-यार देखेंगे।।
फूल गिरें झोली में ये नहीं मुकद्दर में हमारे।
तमन्ना लिए हैं दिल में मगर गुलज़ार देखेंगे।।
सूने घरों में लग जाते हैं जाले जानते हैं हम।
सूना छोड़कर फिर भी हम दिले-दरबार देखेंगे।।
इन्तज़ार है हर किसी को किसी न किसी का।
तेरे इन्तज़ार में पलकें बिछा”प्रीतम”यार देखेंगे।।