??तेरी आँखों की मस्तियाँ??
पिलाए जा अपनी आँखों से प्यार के जाम।
मिलाकर हृदय के शबनमी सरबती-से क़लाम।।
मैं मदहोश हो जाऊँ तेरी नशीली आँखों में डूब।
कभी बाहर न निकलूँ चाहे सुबह हो या शाम।।
तुझे चाहा,तुझे ही चाहता रहूँ उम्र भर के लिए।
तेरे सज़दे में संवरते रहे मेरे प्यार के सलाम।।
तू मेरी धड़कन,तू मेरी तड़पन बनी रहे सदैव।
मेरे हृदय के आइने में झलके हरपल तेरा काम।।
तू सांस ले,तू आहें भरे,तू ही फूल बन संवरे।
तेरा ही सहारा रहे दिल को बना मेरा मुक़ाम।।
तू चाँदनी निखरती हुई,तू ख़ुशबू बिखरती हुई।
तू ही तरूणाई,तू बनी रहे मेरी हसीं शाम।।
तेरी पलकों में,तेरी अलकों में मेरा प्यार संवरें।
मेरी कलम से लिखा जाए तेरा सदा क़लाम।।
“प्रीतम”तू निखरी हुई सुबह बने तू ढ़लती शाम।
मेरी हसरतों में सदा महकता रहे तेरा ही नाम।।