Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Dec 2016 · 1 min read

तृप्ति….

तृप्ति….

“तू” मुझमें है “मै” तुझमे हूं.
फिर कैसा “मै” और कैसी “तू”..?

जब “तू और मै” के मिलने से ही
तृप्ति “हम” का होना है…!

फिर क्यूँ न एक हो जाए “हम”
की न मै “मै’ रहूँ न तू “तू” रहे..!

विनोद सिन्हा-“सुदामा”

Language: Hindi
503 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ढलती हुई दीवार ।
ढलती हुई दीवार ।
Manisha Manjari
Hum mom ki kathputali to na the.
Hum mom ki kathputali to na the.
Sakshi Tripathi
खुशी ( Happiness)
खुशी ( Happiness)
Ashu Sharma
सरकार बिक गई
सरकार बिक गई
साहित्य गौरव
... और मैं भाग गया
... और मैं भाग गया
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
Preparation is
Preparation is
Dhriti Mishra
स्वदेशी के नाम पर
स्वदेशी के नाम पर
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
राजकुमारी कार्विका
राजकुमारी कार्विका
Anil chobisa
शुभ रात्रि मित्रों
शुभ रात्रि मित्रों
आर.एस. 'प्रीतम'
तुम्हारी याद है और उम्र भर की शाम बाकी है,
तुम्हारी याद है और उम्र भर की शाम बाकी है,
Ankur Rawat
ज्ञान -दीपक
ज्ञान -दीपक
Pt. Brajesh Kumar Nayak
💐अज्ञात के प्रति-81💐
💐अज्ञात के प्रति-81💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*कड़वा बोल न बोलिए, कड़वी कहें न बात【कुंडलिया】*
*कड़वा बोल न बोलिए, कड़वी कहें न बात【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
रोशनी का पेड़
रोशनी का पेड़
Kshma Urmila
मुर्दा समाज
मुर्दा समाज
Rekha Drolia
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
■ केवल लूट की मंशा।
■ केवल लूट की मंशा।
*Author प्रणय प्रभात*
'हक़' और हाकिम
'हक़' और हाकिम
आनन्द मिश्र
समृद्धि
समृद्धि
Paras Nath Jha
हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
12. घर का दरवाज़ा
12. घर का दरवाज़ा
Rajeev Dutta
तुम अपना भी  जरा ढंग देखो
तुम अपना भी जरा ढंग देखो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
2963.*पूर्णिका*
2963.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हुनर मौहब्बत के जिंदगी को सीखा गया कोई।
हुनर मौहब्बत के जिंदगी को सीखा गया कोई।
Phool gufran
मुक्तक।
मुक्तक।
Pankaj sharma Tarun
बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज / मातृभाषा दिवश पर हमर एक गाेट कविता
बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज / मातृभाषा दिवश पर हमर एक गाेट कविता
Binit Thakur (विनीत ठाकुर)
हिन्दी ग़ज़़लकारों की अंधी रति + रमेशराज
हिन्दी ग़ज़़लकारों की अंधी रति + रमेशराज
कवि रमेशराज
कुछ बातें मन में रहने दो।
कुछ बातें मन में रहने दो।
surenderpal vaidya
मन के भाव हमारे यदि ये...
मन के भाव हमारे यदि ये...
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
मेनका की ‘मी टू’
मेनका की ‘मी टू’
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...